सिवनी, राष्ट्रबाण। जब कोई नेता बनता है तो उसके पीछे समर्थको का हुजूम होता है। सामाजिक लोगो में लोकप्रियता होती है और साथ में उसके अपने समर्थको का काफिला होता है। लेकिन सिवनी जिले की बरघाट की गलियों से निकले नेता वैभव पंवार (Vaibhav Pawar) जो अपने आपको (स्वयं भू) बड़ा नेता बताने की ढींगे हांकते है वह अपने आपको समाज में जनाधार वाला नेता बताते नहीं थकता। किन्तु वैभव का सामाजिक रसूख आज पंवार समाज के आदर्श और देश समाज का गौरव माने जाने वाले राजा भोज की जयंती में फीका दिखाई दिया जहां वह 50 सामाजिक व्यक्तियों को एक सूत्र में बांधने में असफल नजर आ रहा है।
इस कार्यक्रम के बाद यह चर्चा भी जोरो पर है कि वैभव पंवार पार्टी में अपनी समाज का आंकड़ा दिखाते हुए बालाघाट लोकसभा से टिकिट की दावेदारी कर रहे है लेकिन आज राजा भोज की जयंती में हुए कार्यक्रम ने उसकी समाज में पकड़ और रौब सब धरा का धरा रह गया। भाजपा युवा मोर्चा (BJYM) का प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते अक्सर युवा नेता के साथ सैकड़ो लोग देखे जाते हैं, लेकिन यहां पर कहानी पूरी विपरीत देखी जा रही है। फिलहाल लोकसभा टिकिट का सपना देख रहे वैभव पवार को उनके समाजिक लोग ही वोट दे यह कहना भी अतिशोक्ति होगा।
युवा चौपाल और नव मतदाता सम्मेलन में भी फेल हुए वैभव…
ज्ञात हो कि इसके पूर्व में युवा मोर्चा द्वारा युवा चौपाल और नव मतदाता सम्मेलन का आयोजन किया गया था, लेकिन इन कार्यक्रमों में आलम यह था की नाबालिग लकड़ों की उपस्थिति की बदौलत इस सम्मेलन को सफल बनाया गया, तो वही युवा चौपाल में मोर्चा के पदाधिकारियों को मोर्चा के कार्यकर्ता को एकत्रित करने में पसीना छूट गया था। जानकार बताते है कि वैभव पंवार द्वारा समाज मे अपनी पैठ होने के दावे किए जाते हैं, लेकिन उनके समाज के लोग ही उनके पीछे उनके विरोध में देखे गए हैं।
समाजिक व्यवहार पर भी अब उठ रहे सवाल…
दरअसल युवा मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष वैभव पवार अपने आप को बड़ा नेता दर्शाने के लिए सारे हथकंडे अपना रहे हैं। लेकिन दबी जबान में उनके ही समाज के लोगों द्वारा उनका विरोध किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि वैभव के उनके समाज मे ही पैठ नही है, जिसके चलते उनके एक समाजिक कार्यक्रम में भी वह लोगों को एकत्रीत नही कर पाए। ऐसे में समाज मे ही जमकर कानाफूसी चल रही है।
सिर्फ कार के काफिले से नही होती लोकप्रियता
वैभव पंवार द्वारा अपनी लोकप्रियता की ढींगे तो खूब हाकी जाती हैं लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत नजर आती है। मोर्चा के कार्यकर्ता ही यह बात दबी जुबान से स्वीकारते हैं कि वैभव जब प्रदेश के अन्य व स्वयं के गृह ग्राम में संपर्क में निकलते है तो उनके साथ सिर्फ कार का काफिला रहता है लेकिन कार्यकर्ताओ का टोटा रहता हैं। वैभव को मोर्चा में अब तक का सबसे फिसड्डी प्रदेशाध्यक्ष माना जाता हैं।