MP News : न्याय के लिए संघर्ष; मुख्यमंत्री से भाई ने मांगी आत्मदाह की अनुमति

Rashtrabaan
Highlights
  • विजय हत्या कांड में पुलिस की कार्यप्रणाली संदिग्ध
  • 29 मई को दल सागर के पास मृत अवस्था में मिला था विजय बघेल का शव

सिवनी, राष्ट्रबाण। पुलिस द्वारा विजय बघेल (Vijay Baghel) हत्या कांड मामला में लापरवाही बरतने के आरोप लगाया गया है। परिजनों का आरोप के बाद मामले ने तुल पकड़ लिया है। बता दें कि 29 मई 2024 को दल सागर किनारे कमरूद्दीन (Kamruddin) उर्फ कमरू की दुकान के पास विजय बघेल उर्फ बबलू मृत अवस्था में मिला था जिसकी सूचना मृतक के भाई संजय बघेल (Sanjay Baghel) ने पुलिस को दी गई थी। शुरुवात से ही परिजनों द्वारा विजय की हत्या का संदेह जताया जा रहा था। कमरूद्दीन उर्फ कमरू द्वारा विजय के साथ मारपीट की घटना होने की जानकारी सामने आई जिसके बाद थाना कोतवाली ने कमरू को हिरासत में लिया लेकिन राजनैतिक दवाब के कारण कमरू को कुछ घंटे बाद ही छोड़ दिया था। राष्ट्रबाण द्वारा मामले की खोजबीन की तो खबर सामने आई की कमरू की दुकान में काम करने वाला नितेश उईके पूरी घटना का चश्मदीद है। जिसकी जानकारी सिवनी पुलिस को दी गई चश्मदीद के द्वारा घटना की पूरी सच्चाई बताई है और कमरू द्वारा विजय बघेल की पिटाई करने की बात कही है साथ ही विजय के मुंह से खून निकलने की बात भी बताई गई लेकिन इसके बाद भी पुलिस द्वारा मामले में कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई ।

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मृतक विजय के भाई संजय बघेल ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से मांगी आत्मदाह की अनुमति।

पुलिस की इस कार्यप्रणाली पर संदेह जताते हुए परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए है। परिजनों का आरोप है कि राजनैतिक दबाव में पुलिस द्वारा निष्पक्ष जांच नहीं की जा रही है। परिजनों ने शंका जताई है कि राजनैतिक दवाब के साथ पुलिस को बड़ी चढ़ोत्तरी चढ़ाई गई है जिसके चलते पुलिस सभी तथ्यों पर निष्पक्ष जांच नहीं कर रही है। परिजनों का कहते है कि सिवनी पुलिस पर हमे अब भरोसा नहीं है। उससे हम निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है पूरे मामले की उच्चाधिकारी से जांच कराई जाए।
विजय बघेल के भाई संजय बघेल ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को पत्र लिख कर निष्पक्ष जांच की मांग कर दोषी पर हत्या का केस दर्ज करने की मांग की है। कार्यवाही नहीं पर 15 जून 2024 को मुख्यमंत्री कार्यालय के सामने आत्मदाह करने की अनुमति मांगी है। साथ ही इस पत्र को जिला कलेक्टर सिवनी, पुलिस अधीक्षक सिवनी, अनुविभागीय दंडाधिकारी सिवनी और थाना प्रभारी थाना कोतवाली को भी प्रेषित किया है।

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पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी संदेह

परिजनों का आरोप है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी राजनैतिक दवाब में गलत दी गई है। हमे कानूनी ज्ञान नहीं था लेकिन डॉक्टर और पुलिस प्रशासन को सभी कानून का ज्ञान था। हमने विजय की मौत पर हत्या का संदेह व्यक्त किया था तो डॉक्टर द्वारा एक टीम बना कर पोस्टमार्टम किया जाना था लेकिन हमें गुमराह कर आनन फानन में पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी राजनैतिक प्रभाव में सही नहीं दी गई है।

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पुलिस पर भरी शफीक

बताया जाता है कि कमरूद्दीन उर्फ कमरू नगर पालिका अध्यक्ष शफीक खान का खास गुर्गा है । नगर पालिका अध्यक्ष ने ही कमरू के लिए अतिक्रमण कराते हुए दुकान लगवाई थी। सूत्रों की माने तो पूरे मामले में नगर पालिका अध्यक्ष के दवाब के चलते पुलिस द्वारा आरोपी को गिरफ्तार करने के कुछ घंटे बाद ही छोड़ दिया गया था। इस पूरे मामले में अब भी पुलिस द्वारा कोई ठोस कार्यवाही को अंजाम नहीं दिया गया है जिससे पुलिस कार्यवाही पर संदेह की सुई घूम रही है।

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हिंदूवादी संगठनों का में समझ के परे

विजय बघेल हत्या कांड में दूसरे जिले के हिंदूवादी संगठनों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है लेकिन जिस जिले की यह घटना है उसी जिले के।हिंदूवादी संगठन मौन साधे हुए है। गाय की हत्या में आक्रोश जताने वाले ये संगठन इंसान की मौत पर मौन है। जिससे यह प्रदर्शित होता है कि इन्हें सिर्फ राजनीति से मतलब है मानवता और इंसानों की कीमत इनके लिए कुछ भी नहीं, ये सिर्फ राजनीति स्वार्थ देखते हुए विरोध करते है।

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दुकान जहाँ हुई घटना : पुलिस और नगर पालिका प्रशासन को अतिक्रमण की दुकान हटाने में छूट रहा पसीना।

नहीं हटा अतिक्रमण

कमरू के द्वारा दुकान अतिक्रमण कर लगाया गया लेकिन घटना के सप्ताह बीत जाने के बाद दुकान को जप्त कर घटना स्थल से हटाया नहीं गया है। इस बात।से अंदाजा लगाया जा सकता है की पूरे मामले में नगर पालिका अध्यक्ष शफीक खान का कितना प्रभाव है।

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एक चूक यह भी

घटना के सात दिन बीत चुके है लेकिन जांच अधिकारी द्वारा अब तक घटना स्थल के पास दुकान में उपस्थित दुकानदारों से पूछताछ नहीं की गई और न ही जांच में किसी गवाह को शामिल किया गया है। आरोपी के आजाद घूमने से प्रत्यक्षदर्शी में भय का माहौल है। आश्चर्य की बात यह है कि पुलिस उस स्थान पर कभी जांच करने भी नहीं पहुंची और न ही किसी दुकानदारों से घटना की जानकारी ली गई। पुलिस की कार्यप्रणाली पर इन्हीं लापरवाही के चलते संदेह किया जा रहा है।

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