मुंबई, राष्ट्रबाण। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिवपार्वती सहकारी साखर कारखाना से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने महाराष्ट्र के चार शहरों- मुंबई, कर्जत, बारामती और पुणे में छापेमारी की है। करोड़ों रुपये की हेराफेरी का आरोप लगा है। ईडी ने शिवपार्वती सहकारी साखर कारखाना, हाईटेक इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन इंडिया और उनके निदेशकों के बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में मुंबई, कर्जत, बारामती और पुणे में विभिन्न स्थानों पर पीएमएलए के प्रावधानों के तहत तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान आरोपी निदेशकों नंदकुमार तासगांवकर, संजय अवाटे और राजेंद्र इंगवले से जुड़े ठिकानों की तलाशी ली गई।
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छानबीन अभी जारी है
ईडी के अधिकारियों ने तलाशी अभियान के दौरान विभिन्न ठिकानों से आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और 19.50 लाख रुपये की नकदी जब्त की। अधिकारियों ने बताया कि मामले में आगे की छानबीन जारी है।
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क्या है मामला?
महाराष्ट्र के बीड के धारूर तालुका के मुंगी गांव के पांडुरंग सोलंके ने 2010 में शिवपार्वती सहकारी चीनी कारखाने का निर्माण शुरू किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसमें उन्होंने नंदकुमार तासगांवकर और राजेश तासगांवकर के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए। आरोप है कि कुछ समय बाद नंदकुमार तासगांवकर और राजेश तासगांवकर ने फर्जी दस्तावेज बनाकर फैक्ट्री को हड़प लिया। उन्होंने कथित तौर पर शिवपार्वती सहकारी चीनी कारखाने को अपने नाम पर करा लिया और पांडुरंग सोलुंके को किनारे कर दिया।
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अदालत में चल रहा मामला
बाद में 2013 में तासगांवकर परिवार ने उसी फैक्ट्री के नाम पर पंजाब नेशनल बैंक और दो अन्य बैंकों से 106 करोड़ रुपये का कर्ज ले लिया। लेकिन बैंक से लोन मिलने के बाद नंदकुमार और राजेश ने दस से पंद्रह करोड़ रुपये ही खर्च किये और फैक्ट्री का काम बंद दिया और फैक्ट्री दिवालिया हो गई। यह मामला अभी अदालत में विचाराधीन है।