बालाघाट, राष्ट्रबाण। क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत नैतरा के कौड़ीटोला से कामथी मार्ग पर मध्यप्रदेश शासन के लोक निर्माण विभाग द्वारा 120 लाख रूपयों की लागत से डामरीकृत सड़क बनाई जा रही है। जिसकी शुरुआत नवंबर 2024 से की गई है, जहां पर ठेकेदार द्वारा दादागिरी के साथ खुलेआम खेतों से बगैर शासन- प्रशासन की अनुमति लिए मुरम का अवैध उत्खनन कर सड़क पर डाली जा रही है।
जबकि सरेआम जेसीबी मशीन के माध्यम से खेतों से अवैध उत्खनन कर ट्रैक्टरों से परिवहन कर निर्माणाधीन सड़क पर मुरम डाली जा रही है। 5 दिन पूर्व कुछ समाचार पत्रों में इस मामले को लेकर समाचार प्रकाशित किया जा चुका है। जिसको लेकर जिम्मेदार पटवारी पिछोडे, आरआई उईके, तहसीलदार कन्हैयालाल टेकाम के संज्ञान में यह मामला लाया जा चुका है। कुछ समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित होने पर जिम्मेदारों की आंखें खुली और वह हरकत में आए।
जहां लालबर्रा तहसीलदार के निर्देश के परिपालन में हल्का पटवारी द्वारा ग्राम कामथी के किसान तीरन बाई पति रामप्रसाद पंवार जिसका खसरा नंबर 274/3 से 26 फीट चौड़ाई, 70 फीट लंबाई, 3 फीट गहराई, मुन्नालाल पिता बंसीलाल गोंड जिसका खसरा नंबर 278/13 से 52 फीट चौड़ाई, 65 फीट लंबाई, 2 फीट गहराई एवं प्रमिला बाई पति देवाजी सुनार जिसका खसरा नंबर 278/14 से 57 फीट चौड़ाई, 87 फीट लंबाई, 2 फीट गहराई का मिट्टी मुरम खनन पाया गया है, जिसका पटवारी द्वारा स्थल निरीक्षण कर प्रकरण तैयार कर तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
अब आगे देखना होगा कि तहसीलदार उक्त अवैध खनन व परिवहन मामले पर क्या कार्रवाई करते हैं? कृषि कार्य वाले ट्रैक्टरों से व्यावसायिक रूप में अवैध मिटटी मुरम खनन कर सड़क पर ठेकेदार द्वारा परिवहन करवाया गया। जिससे कि बिना रॉयल्टी के शासन को क्षति पहुंचाई जा रही है। उक्त सड़क की पटरी भराई में आधा मिट्टी, आधा मुरम डाला जा रहा है।
कार्रवाई करने के लिए शिकायत या खबर प्रकाशित होने का इंतजार करते हैं जिम्मेदार
इसके पूर्व भी अनेकों मर्तबा मिट्टी और मुरम के अवैध खनन और परिवहन के मामले लगातार सामने आते रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारों द्वारा उचित कार्यवाही नहीं की गई है। अभी देखने में आ रहा है कि क्षेत्र में सड़कों की पटरी भराई में अवैध मुरम का उपयोग किया जा रहा है। यदि जिम्मेदार अधिकारी अवैध उत्खनन में लगी मशीन और परिवहन करने वाले ट्रैक्टर -डंपरों पर सही मायनों में कार्रवाई करें तो कुछ हद तक अवैध उत्खनन पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, जिससे पर्यावरण को होने वाली क्षति को भी रोकने में मदद मिल सकेगी।