राजनीतिक चंदे पर फिर बवाल : अहम सवाल, टैक्स छूट या कर की लूट

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  • सरकारी खजाने पर 3967 करोड़ का बोझ

नई दिल्ली, राष्ट्रबाण। केंद्रीय बजट 2024-25 में वित्त मंत्रालय द्वारा किए गए अनुमान के अनुसार, राजनीतिक दलों को दान के कारण कॉर्पोरेट्स, फर्मों और व्यक्तियों द्वारा प्राप्त टैक्स कटौती का राजस्व प्रभाव वित्त वर्ष 2022-23 में अनुमानित 3,967.54 करोड़ रुपये था। यानी लोगों, कॉरपोरेट्स, फर्मों आदि ने राजनीतिक दलों को चंदा देकर 2022-23 में 3967.54 करोड़ का टैक्स बचाया। लेकिन सरकार के खजाने को इससे तो नुकसान हुआ। बड़ा सवाल यही है कि राजनीतिक दलों को ऐसे दान पर छूट क्यों मिलना चाहिए। आम जनता टैक्स भरती है और राजनीतिक दल चंदा वसूल कर बड़े लोगों को टैक्स बचवाते हैं।

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13 फीसदी इस बार वृद्धि

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पिछले केंद्रीय बजट विश्लेषण के अनुसार, यह आंकड़ा 2021-22 की तुलना में 13% अधिक है और चुनावी फंडिंग में और बढ़ोतरी को दर्शाता है, जिसमें पिछले नौ वर्षों के दौरान तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। यानी जब से भाजपा केंद्र की सत्ता में आई है, राजनीतिक चंदा बढ़ा है और उससे सरकार के खजाने को राजस्व का नुकसान भी हो रहा है।

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हैरान करने वाले आंकड़े

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2021-22 में, राजनीतिक चंदे के लिए टैक्स रियायतें 3,516.47 करोड़ रुपये थीं, जो पिछले वित्त वर्ष से 300% अधिक है। 2014-15 में यह 170.86 करोड़ रुपये थी, उस समय मोदी सरकार को आए हुए एक साल ही था। कुल मिलाकर, 2014-15 के बाद से नौ वर्षों में राजनीतिक डोनेशन पर प्राप्त टैक्स रियायतों का कुल राजस्व प्रभाव अनुमानित 12,270.19 करोड़ रुपये है। सरकार ने अभी वित्त वर्ष 2023-24 का डेटा सार्वजनिक नहीं किया है। अगर राजनीतिक दलों को चंदे पर छूट नहीं मिली होती तो सरकार को अपने खजाने में 12,270.19 करोड़ रुपये मिले होते।

चुनावी बांड ने खोले पोल

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चुनावी बांड का मामला सामने आने के बाद राजनीतिक दलों में जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगे थे। देश में सीपीएम एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसने किसी भी तरह का चुनावी बांड लेने या उसके बदले चंदा लेने से इनकार कर दिया, लेकिन सीपीएम के अलावा बाकी दलों ने इसका लाभ उठाया है। लाभ का एक बड़ा हिस्सा भाजपा तक सीमित रहा। भाजपा को दान देने वाली कंपनियों में ऐसी भी शामिल थीं जो ईडी और आयकर जांच या छापे का सामना कर रही थीं।

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