बैरिकेड कूदकर अखिलेश ने दिया धरना, राहुल-प्रियंका समेत कई सांसद हिरासत में, बाद में रिहा

Rahul Maurya
Photo: IANS

दिल्ली, राष्ट्रबाण: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्षी सांसदों का गुस्सा फूट पड़ा। सोमवार को इंडिया गठबंधन के सांसदों ने संसद भवन से चुनाव आयोग मुख्यालय तक विरोध मार्च निकाला, लेकिन पुलिस ने परिवहन भवन के पास बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रोक दिया। इस दौरान समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव बैरिकेड्स कूदकर सड़क पर पहुंचे और धरने पर बैठ गए।

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, सुष्मिता देव, और कांग्रेस की संजना जाटव जैसी महिला सांसदों ने बैरिकेड्स पर चढ़कर नारे लगाए। पुलिस ने बिना अनुमति मार्च का हवाला देकर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, अखिलेश यादव, और अन्य नेताओं को हिरासत में लिया, लेकिन बाद में छोड़ दिया।

विपक्ष का आरोप है कि एसआईआर से बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लाखों मतदाताओं को वोटिंग से वंचित किया जा रहा है, और यह ‘वोट चोरी’ का हिस्सा है। प्रदर्शनकारी सांसदों ने ‘श्रीमान+वोट चोरी=लोकतंत्र की हत्या’ जैसे बैनर लहराए और ‘एसआईआर बंद करो’ के नारे लगाए। मार्च शुरू होने से पहले संसद के मकर द्वार पर राष्ट्रगान गाया गया।

मार्च में कौन-कौन शामिल
विरोध मार्च में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, द्रमुक के टीआर बालू, शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत, टीएमसी के डेरेक ओब्रायन, राजद, और वामपंथी दलों के सांसद शामिल थे।

विपक्ष का कहना है कि एसआईआर प्रक्रिया से गरीब और अल्पसंख्यक मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा है, और यह 2024 के लोकसभा चुनाव में हुई ‘वोट चोरी’ की तरह है। राहुल गांधी ने कहा कि यह लड़ाई राजनीतिक नहीं, बल्कि संविधान और ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ की रक्षा की है। उन्होंने कर्नाटक के उदाहरण से समझाया कि फर्जी वोटर, डुप्लीकेट पते, और गलत फोटो से वोट हेराफेरी हुई।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि चुनाव आयोग को इन सवालों का जवाब देना चाहिए, ताकि चुनावों की निष्पक्षता पर संदेह न रहे। प्रदर्शन के दौरान टीएमसी सांसद मिताली बाग बेहोश हो गईं, जबकि कांग्रेस सांसद संजना जाटव की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें आरएमएल अस्पताल ले जाया गया।

पुलिस की कार्रवाई
नई दिल्ली के संयुक्त पुलिस आयुक्त दीपक पुरोहित ने बताया कि चुनाव आयोग ने केवल 30 सांसदों को मिलने की अनुमति दी थी, लेकिन विपक्षी सांसद 300 से ज्यादा संख्या में मार्च निकाल रहे थे। पुलिस ने लाउडस्पीकर से घोषणा की कि बिना अनुमति मार्च नहीं निकाला जा सकता, और 30 सांसदों को पैदल या वाहन से जाने की इजाजत है।

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि उन्होंने रविवार को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मार्च की सूचना दी थी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि ‘चुनाव आयोग अब चुराओ आयोग बन गया है।’ अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि सरकार पुलिस का इस्तेमाल कर विपक्ष को दबाना चाहती है।

प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार डरी हुई है और कायर है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सांसदों को चुनाव आयोग जाने की आजादी नहीं दी जा रही, जो लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि विपक्ष गांधीवादी रास्ते पर शांतिपूर्ण विरोध कर रहा है।

क्या है एसआईआर का मुद्दा?
विपक्ष संसद के दोनों सदनों में एसआईआर पर चर्चा की मांग कर रहा है, जिसके चलते मानसून सत्र में गतिरोध बना हुआ है। 21 जुलाई से शुरू सत्र में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा को छोड़कर बहुत कम काम हुआ है। विपक्ष का आरोप है कि एसआईआर से बिहार में लाखों मतदाताओं को हटाया जा रहा है, जो अल्पसंख्यक और गरीब वर्ग से हैं।

कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि जेल की सलाखें राहुल गांधी और विपक्ष को नहीं रोक सकतीं, और नारा है ‘बोल रहा है पूरा देश, वोट हमारा छू के देख’। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सरकार चुनाव आयोग से डरती है, और 30 सांसद चुनना संभव नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह विवाद बिहार चुनाव से पहले सियासत को गरमा सकता है, और चुनाव आयोग को पारदर्शिता दिखानी होगी।

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