भोपाल, राष्ट्रबाण। मध्यप्रदेश में आखिरकार मुख्यमंत्री चुन लिया गया है। हालाकि शिवराज सिंह चौहान, प्रह्लाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर जैसे करीब आधा दर्जन दिग्गज नेताओं के नामों पर अटकलों के बीच सोमवार शाम यह निर्णय आया है, जिसने सभी को चौका दिया। उज्जैन दक्षिण से तीसरी बार के विधायक और शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे मोहन यादव के जरिए भाजपा ने ओबीसी वोटर्स को साधने की कोशिश की है, जिनकी राज्य की जनसंख्या में हिस्सेदारी करीब 48 फीसदी है। आरएसएस से लंबे समय से जुड़े मोहन यादव पहली बार 2013 में विधायक बने थे और फिर 2018 और 2023 में उन्होंने जीत हासिल की। अब जहां मोहन यादव को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया है तो कांग्रेस को ये रास नही आ रहा है। विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद मोहन यादव पर कांग्रेस ने पहला वार किया है और उनपर कई गंभीर आरोप होने की बात कही है। एक तरफ मध्य प्रदेश में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने मोहन यादव से मिलकर उन्हें बधाई दी तो दूसरी तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया ने नए सीएम के खिलाफ मोर्चा खोला। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘चुनाव परिणाम के आठ दिन बाद भाजपा ने मध्यप्रदेश के लिए मुख्यमंत्री चुना भी तो एक ऐसे व्यक्ति को जिस पर उज्जैन मास्टरप्लान में बडे पैमाने पर हेरफेर करने समेत कई गंभीर आरोप हैं। जयराम रमेश ने एक अखबार की रिपोर्ट को साझा करते हुए लिखा, ‘सिंहस्थ के लिए रिजर्व 872 एकड़ जमीनों मे से उनकी जमीन को लैंड यूज बदलकर अलग किया गया। इनके कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हैं जिनमें यह गाली देते, धमकी देते और आपत्तिजनक बयान देते हुए दिख रहे हैं। क्या यह है मध्यप्रदेश के लिए ‘मोदी की गारंटी?