भोपाल,राष्ट्रबाण। बालाघाट जिले और सिवनी के केवलारी विधानसभा में कभी रेत माफियाओं के आतंक को बताने वाले माननीय विधायक एका एक मौन हो गए। अब मौन पर क्षेत्र की जनता चर्चा कर रही है कि क्या क्षेत्र में रेत माफियाओं द्वारा अवैध उत्खनन बंद कर दिया गया है या माननीयों के ईमान की नीलामी हो गई है?
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सर्व विदित है की बालाघाट विधायक अनुभा मुंजारे, कटंगी विधायक गौरव पारधी और केवलारी विधायक रजनीश हरवंश सिंह विधायक बनते ही रेत माफिया के खिलाफ मुहीम छेड़ते हुए अवैध उत्खनन के खिलाफ हुंकार भरी लेकिन समय के साथ माननीयों की आवाज कमजोर पड़ गई, अब यह आवाज सुनाई नहीं दे रही है लेकिन जिले और क्षेत्र में रेत माफियाओं का आतंक बदस्तूर जारी है। स्वीकृत खदानों से हट कर उन क्षेत्रो से रेत का वैध उत्खनन किया जा रहा जहां रेत ठेकेदार को खदान स्वीकृत नहीं की गई।
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ग्रामीण क्षेत्रो पर ग्रामीणों को रेत निकालने से रोकने रेत ठेकेदार के गुर्गे (गुंडे) घूमते है और रेत निकालने वाले ट्रेक्टर और डम्फरों की प्राइवेट रॉयल्टी काट कर वसूली कर रहे है। जबकि नियमानुसार यह अधिकार खनिज विभाग का है लेकिन इसे शासन का दुर्भाग्य ही कहेंगे की रेत ठेकेदार के गुर्गे प्राइवेट रशीद छाप कर वसूली कर रहे है। रेत माफियाओं की गुंडागर्दी चरम पर है और कल तक अवैध उत्खनन पर हो हल्ला करने वाले माननीय (अनुभा मुंजारे, गौरव पारधी, रजनीश हरवंश सिंह) आंखो पर पट्टी बांध कर गांधारी की भूमिका निभा रहे है।
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कितने में हुई इमां की नीलामी?
विधायक बनने के बाद से माननीयों का विरोध से जनता में यह सन्देश गया था की अब रेत माफियाओं के खिलाफ इन माननीय की आवाज भोपाल में गूंजेगी और मोहन सरकार की नींद टूटेगी। किंतु कुछ समय बाद ही माननीय की रेट माफियाओं के खिलाफ उठी आवाज ने दम तोड़ दिया। चर्चाओं की माने माननीयों ने मौन रहने की बड़ी कीमत लगाई है जिसके चलते उनके द्वारा अवैध उत्खनन के खिलाफ आवाज नहीं उठाई जा रही है, यह रकम लाखो में आंकी जा रही है। अगर माननीयों ने यह सौदा हुआ है? तो इसे ईमान की नीलामी कहे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।