अमेरिका, जो दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क माना जाता है, इन दिनों सियासी उथल-पुथल के भंवर में फंसता दिख रहा है। बीते 10 सितंबर को यूटा वैली यूनिवर्सिटी में मशहूर रूढ़िवादी नेता चार्ली किर्क की गोली मारकर हत्या ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस घटना को यूटा के गवर्नर ने “सियासी हत्या” करार दिया। सवाल ये है कि क्या ये एक अकेली घटना है, या अमेरिका अब हिंसा के उस रास्ते पर चल पड़ा है, जहां से लौटना मुश्किल है?
चार्ली किर्क थे ट्रंप के करीबी
चार्ली किर्क कोई साधारण शख्स नहीं थे। 31 साल की उम्र में वो अमेरिका के दक्षिणपंथी आंदोलन का चेहरा बन चुके थे। उनकी संस्था टर्निंग पॉइंट यूएसए ने युवाओं को जोड़ने और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन में माहौल बनाने में बड़ी भूमिका निभाई। रेडियो शो, किताबें और ताबड़तोड़ रैलियों के जरिए किर्क ने लाखों युवाओं को अपने साथ जोड़ा।
वो ट्रंप के इतने करीब थे कि 2024 में उन्हें “किंगमेकर” कहा जाने लगा। ट्रंप के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस को चुनने में भी उनकी सलाह को अहम माना गया। लेकिन उनकी बढ़ती लोकप्रियता ने उन्हें कुछ लोगों की आंखों में खटकना भी शुरू कर दिया था।
हिंसा का सिलसिला
चार्ली किर्क की हत्या कोई पहली घटना नहीं है। पिछले कुछ सालों में अमेरिका में सियासी हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। 2021 में कैपिटल हिल पर ट्रंप समर्थकों का हमला हो, या 2024 में ट्रंप पर दो बार जानलेवा हमले की कोशिशें, ये सब बताते हैं कि देश में गुस्सा और बंटवारा गहरा रहा है।
मिनेसोटा में दो विधायकों की हत्या, पेनसिल्वेनिया के गवर्नर के घर पर आगजनी, और टेक्सास में एक सरकारी दफ्तर पर हमला – ये सारी घटनाएं 2025 में ही हुईं। शिकागो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रॉबर्ट पेप का कहना है कि पिछले चार सालों में सियासी हिंसा को समर्थन देने वालों की तादाद बढ़ी है। उनके एक सर्वे में 39 फीसदी डेमोक्रेट्स ने माना कि ट्रंप को बलपूर्वक हटाना जायज हो सकता है।
सोशल मीडिया पर जहर
किर्क की हत्या के बाद सोशल मीडिया पर तनाव और बढ़ गया। कुछ वामपंथी समूहों के पोस्टर वायरल हो रहे हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि किर्क को “उनका हक” मिला। दूसरी तरफ, दक्षिणपंथी समर्थक गुस्से में हैं और बदला लेने की बात कर रहे हैं। ये बंटवारा सिर्फ सोशल मीडिया तक नहीं, सड़कों पर भी दिख रहा है।
लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या अमेरिका गृहयुद्ध की कगार पर पहुंच गया है? जानकारों का मानना है कि बढ़ता ध्रुवीकरण, आर्थिक दिक्कतें और नेताओं की भड़काऊ बयानबाजी इस आग में घी डाल रही है।
FBI की कार्रवाई
अमेरिका की जांच एजेंसी FBI ने किर्क के हत्यारों को पकड़ने के लिए एक लाख डॉलर (लगभग 83 लाख रुपये) के इनाम का ऐलान किया है। हमलावर के बारे में सिर्फ इतना पता है कि उसने गहरे रंग के कपड़े पहने थे और यूनिवर्सिटी परिसर की एक छत से गोली चलाई। लेकिन सवाल ये है कि क्या हत्यारों को पकड़ने से ये सिलसिला रुकेगा? जानकारों का कहना है कि जब तक नेताओं और जनता के बीच सियासी दुश्मनी कम नहीं होगी, तब तक हिंसा का खतरा बना रहेगा।
क्या है रास्ता?
चार्ली किर्क की हत्या ने अमेरिका को एक बार फिर सोचने पर मजबूर किया है। क्या ये देश, जो दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाता है, खुद अपने घर में बिखर रहा है? कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सियासी बातचीत को नरम किया जाए और सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वालों पर लगाम लगे, तो शायद हालात सुधर सकते हैं। लेकिन इसके लिए दोनों पक्षों को एक-दूसरे की बात सुनने की आदत डालनी होगी।