छतरपुर, राष्ट्रबाण। स्वास्थ्य सुविधाओं मैं करोड़ों खर्च करने के बावजूद भी प्रदेश सरकार को जब पलीता लग जाता है जब जनहित के लिए बनाई गई सुविधाएं आम लोगों के काम ना आये। स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था का नजारा उस समय देखने को मिला जब एक मरीज को स्वजन ठेले पर लिटाकर अस्पताल लाए और ठेले पर ही उसका इलाज हुआ। बाद में इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई। परिजनों के मुताबिक
बक्सवाहा की वार्ड क्रमांक 14 में जसोदा बंसल अपने बेटे महेंद्र बंसल का इलाज कराने के लिए हाथ ठेला से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची थी। स्वास्थ्य विभाग का सिस्टम तब अनउपयोगी साबित हुआ जब स्वजनों ने इलाज के लिए परेशान होने के हालात बताए। दरअसल लागतार 108 पर फोन लगाने के बाद भी उन्हें सुविधा नही मिली तो परिजनों ने ठेले में ही अपने बेटे को लिटाकर ले आए।
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आप भी सुनिए मृतक के परिजनों की आपबीती…
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मृतक की मां जसोदा बंसल का कहना था कि हमारे बेटे महेंद्र के पीठ का ट्यूमर अचानक फूट गया था। जिस कारण से उसको घबराहट के साथ-साथ काफी दर्द महसूस होने लगा जिसके बाद हमने कई बार 108 पर फोन किया लेकिन फोन नहीं लगा। आनन-फानन में अपने ही मोहल्ले में रखें ठेले को उठाकर हम अपने बेटे को उस पर लिटा कर लगभग 1 किलोमीटर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे जहां ड्यूटी पर तैनात डाक्टर असाटी और कंपाउंडर सचिन ठाकुर ने मरीज का तत्काल वैकल्पिक इलाज किया और इलाज के लिए दमोह रेफर कर दिया। वहीं इस मामले में डॉक्टर बचते दिखाई दिए। उनका कहना था कि परिवार के द्वारा शव वाहन के लिए नहीं कहा गया था जैसे ही हमें जानकारी लगी हमारे द्वारा शव वाहन बुला लिया गया था लेकिन उसके पहले ही परिवार वाले मरीज को हाथ ठेले पर ले गए।