GST कटौती पर चिदंबरम ने दागे सवाल 8 साल बाद क्यों? बिहार चुनाव या ट्रम्प टैरिफ की वजह?

Rahul Maurya

नई दिल्ली, राष्ट्रबाण: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने केंद्र सरकार की हालिया जीएसटी कटौती को स्वागत योग्य बताया, लेकिन इसे ‘8 साल देरी से उठाया गया कदम’ करार दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर सरकार ने 8 साल बाद यह फैसला क्यों लिया? क्या इसके पीछे आर्थिक मंदी, बिहार विधानसभा चुनाव, या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ का दबाव है? चिदंबरम की यह टिप्पणी 56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद आई, जिसमें कई वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स दरों को कम करने का फैसला लिया गया।

चिदंबरम ने क्या कहा?

चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी बात रखते हुए कहा कि जीएसटी की मौजूदा संरचना और दरें शुरू से ही गलत थीं। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष ने 2017 में जीएसटी लागू होने के समय से ही इसके डिज़ाइन और ऊंची दरों की आलोचना की थी, लेकिन सरकार ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया। उन्होंने लिखा कि जीएसटी दरों में कटौती और सरलीकरण स्वागत योग्य है, लेकिन यह 8 साल पहले होना चाहिए था। चिदंबरम ने सवाल उठाया कि क्या यह फैसला आर्थिक मंदी, बढ़ते घरेलू कर्ज, घटती बचत, बिहार चुनाव, या ट्रम्प के टैरिफ जैसे अंतरराष्ट्रीय दबावों का नतीजा है।

जीएसटी कटौती का क्या है मसला?

56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में सरकार ने टैक्स स्लैब को सरल करते हुए 12% और 28% की दरों को 5% और 18% में मिलाने का फैसला लिया। इससे सीमेंट, स्टील, और कई अन्य वस्तुओं की कीमतें कम होने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे ‘नेक्स्ट-जेन जीएसटी रिफॉर्म’ करार देते हुए कहा कि यह आम आदमी, किसानों, और कारोबारियों को राहत देगा। यह बदलाव 22 सितंबर 2025 से लागू होंगे, जिससे जीवनयापन की लागत कम होने और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

बिहार चुनाव और ट्रम्प टैरिफ की भूमिका?

चिदंबरम ने यह सवाल उठाया कि क्या यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव से प्रेरित है, जो इस साल के अंत में होने वाले हैं। बिहार में सस्ती वस्तुओं और सेवाओं से मतदाताओं को लुभाने की कोशिश हो सकती है। इसके अलावा, उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हालिया टैरिफ को भी इसका कारण बताया। ट्रम्प ने भारत से आयातित सामानों पर 50% टैरिफ लगाया है, जिसका जवाब भारत सरकार ने भी टैरिफ बढ़ाकर दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी कटौती से भारतीय उत्पाद सस्ते हो सकते हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।

विपक्ष और सरकार का रुख

कांग्रेस के साथ-साथ तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी जीएसटी कटौती को ‘जनता की जीत’ बताया, लेकिन सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह कदम दबाव में लिया गया। TMC ने वित्त मंत्री की पुरानी नीतियों को ‘लोगों के खिलाफ’ करार दिया। दूसरी ओर, बीजेपी नेताओं ने इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में बड़ा कदम बताया। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और पूर्व नीति आयोग सीईओ अमिताभ कांत ने इसकी तारीफ की।

अर्थव्यवस्था पर असर

विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी कटौती से मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी और उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा। इससे रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल, और अन्य सेक्टरों में मांग बढ़ सकती है। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का कहना है कि सरकार को राजस्व में कमी का सामना करना पड़ सकता है, जिसे संभालने के लिए सावधानी बरतनी होगी। यह देखना बाकी है कि यह कटौती कितनी प्रभावी होगी और क्या यह बिहार जैसे राज्यों में राजनीतिक माहौल को प्रभावित करेगी। क्या सरकार का यह कदम अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार देगा, या यह सिर्फ एक राजनीतिक चाल है?

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