पुणे, राष्ट्रबाण: महाराष्ट्र के पुणे जिले के अंबेगांव तालुका स्थित मंचर कस्बे में एक पुरानी दरगाह की मरम्मत के दौरान एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे इलाके को हिला दिया। शुक्रवार दोपहर करीब ढाई बजे दरगाह की एक दीवार ढह गई, और उसके नीचे एक सुरंग जैसी संरचना नजर आई। कुछ लोगों का कहना है कि ये संरचना किसी पुराने मंदिर की तरह लग रही है। इससे हिंदू संगठनों और स्थानीय मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव बढ़ गया। हिंदू समूहों का दावा है कि दरगाह के नीचे मंदिर दबा हुआ था, जबकि दूसरे पक्ष ने इसका सख्ती से खंडन किया।
मरम्मत के दौरान दीवार ढहना
चावड़ी चौक में स्थित ये दरगाह लंबे समय से खराब हालत में थी। स्थानीय नगरपालिका परिषद ने इसकी मरम्मत के लिए करीब 60 लाख रुपये मंजूर किए थे। काम जोरों पर चल रहा था, लेकिन शुक्रवार को अचानक एक दीवार गिर गई। दीवार के नीचे एक सुरंग जैसी चीज दिखी, जो कुछ लोगों को मंदिर की याद दिला गई। इलाके में अफरा-तफरी मच गई। लोग इकट्ठा हो गए और दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए।
हिंदू संगठनों ने तुरंत दावा किया कि ये दरगाह किसी प्राचीन मंदिर पर बनी हुई है। उन्होंने मरम्मत रोकने और खुदाई कराने की मांग की। दूसरी ओर, मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कहा कि वहाँ सिर्फ दरगाह और कब्रें हैं, कोई मंदिर नहीं। इस दावे का उन्होंने कड़ा विरोध किया।
पुलिस तैनाती और वरिष्ठ अधिकारियों का दौरा
विवाद बढ़ते ही मंचर कस्बे में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। तनाव को काबू में रखने के लिए वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुँचे और स्थिति का जायजा लिया। अधिकारियों ने साफ कहा कि कोर्ट के आदेश तक कोई निर्माण या खुदाई का काम नहीं होगा। शांति बनाए रखने के लिए हिंदू और मुस्लिम समुदायों के नेताओं के साथ बैठकें की गईं।
मुस्लिम पक्ष ने न्यायालय के फैसले का सम्मान करने की बात कही, जबकि हिंदू संगठनों ने मरम्मत पर रोक लगाने के लिए अदालत जाने की चेतावनी दी। नगरपालिका पर मरम्मत के लिए अनुमति की वैधता पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या ये काम बिना पूरी छानबीन के शुरू हुआ था? ये सवाल अभी अनुत्तरित हैं।
ऐतिहासिक विवादों की याद दिलाती घटना
ये घटना देशभर में चल रहे धार्मिक स्थलों के इतिहास को लेकर उठने वाले विवादों की याद दिला रही है। मंचर जैसे छोटे कस्बे में ये मामला सांप्रदायिक तनाव का रूप ले सकता था, लेकिन पुलिस और स्थानीय नेताओं की सक्रियता से स्थिति नियंत्रण में है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं में पुरातत्व विभाग की मदद लेनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।
हिंदू संगठनों का दावा है कि सुरंग मंदिर की ओर इशारा करती है, लेकिन बिना खुदाई के कुछ कहना मुश्किल है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ये सिर्फ पुरानी संरचना है, कोई धार्मिक महत्व नहीं। विवाद सुलझाने के लिए कोर्ट ही आखिरी रास्ता लग रहा है।
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