प्रयागराज, राष्ट्रबाण। 2005 से 2006 के बीच हुए इस निठारी कांड ने पूरी दुनिया को हिला दिया था, लेकिन सोमवार को हाईकोर्ट ने इस मामले में आरोपियों पर जारी फांसी की सजा को रद्द कर उन्हें बरी कर दिया है। 17 साल पहले हुए इस कांड को आज भी लोग याद करते हैं तो उनकी रूह तक कांप उठती है। दरअसल निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली ओर मोनिंदर सिंह पंढेर को सोमवार को बड़ी राहत मिली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोली और पंढेर को बरी करते हुए उनकी फांसी की सजा रद्द कर दी है। मोनिंदर सिंह पंढेर की वकील मनीषा भंडारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हाईकोर्ट ने पंढेर को फांसी की सजा वाले दोनों मामलों में बाइज्जत बरी कर दिया है। पंढेर के खिलाफ कुल 6 मामले थे। जिनमें से दो में फांसी की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने बताया कि सुरेंद्र कोली को भी हाईकोर्ट में दायर सभी अपीलों में बरी कर दिया गया है। मोनिंदर सिंह पंढेर की वकील के मुताबिक सुरेंद्र कोली को 14 मामलों में और मोनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। दोनों आरोपियों ने खुद को सजा-ए-मौत दिए जाने के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने कोर्ट में कहा था कि इन घटनाओं का कोई चश्मद्दीद गवाह नहीं है। सिर्फ वैज्ञानिक और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है। दोनों की याचिकाओं पर लंबी सुनवाई चली। अंतत: सोमवार को हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली और पंढेर को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया है। इसके साथ ही उन्हें इन मामलों में मिली फांसी की सजा रद्द कर दी गई हैै। जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस एसए हुसैन रिजवी की बेंच ने कोली और पंढेर के पक्ष में ये फैसला सुनाया है। अभी इस फैसले की विस्तृत जानकारी सामने नहीं आई है। वरिष्ठ अधिवक्ता मनीषा भंडारी ने कहा कि पंढेर के खिलाफ कुल छह केस थे जिनमें से एक में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले ही बरी कर दिया था। बाकी तीन में निचली अदालत से बरी हो गए थे। बचे दो मामलों में फांसी की सजा थी। उनमें सोमवार को उन्हें बरी कर दिया गया।
क्या था पूरा मामला..
2005 से 2006 के बीच हुए इस कांड ने मानवता को शर्मसार कर दिया था। नोएडा के सेक्टर 30 स्थित ग्राम निठारी में कोठी नंबर डी 5 में रहने वाले उद्योगपति मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोहली पर महिलाओं और मासूम बच्चियों के साथ रेप के बाद उनकी हत्या कर शव के टुकड़े-टुकड़े करके नाले में फेंक देने के आरोप लगे थे। बताया गया था कि कई को कोठी में ही दफन कर दिया गया था। सीबीआई ने इस मामले की जांच की थी। बाद में सीबीआई अदालत ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई।