महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है, इस बार बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं परिवहन (बेस्ट) के महाप्रबंधक की नियुक्ति को लेकर। 5 अगस्त 2025 को महाराष्ट्र सरकार ने एक ही दिन में एक ही पद के लिए दो अलग-अलग आदेश जारी किए, जिसने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच तनाव को उजागर कर दिया। शिंदे के नेतृत्व वाले शहरी विकास विभाग ने मुंबई की अतिरिक्त आयुक्त अश्विनी जोशी को बेस्ट का महाप्रबंधक नियुक्त किया।
लेकिन कुछ ही घंटों बाद, फडणवीस के सामान्य प्रशासन विभाग ने जीएसटी आयुक्त आशीष शर्मा को उसी पद का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया। यह भ्रम तब शुरू हुआ जब पूर्व महाप्रबंधक एसवीआर श्रीनिवास 31 जुलाई को सेवानिवृत्त हुए, जिसके बाद बेस्ट में नेतृत्व का संकट खड़ा हो गया। इस दोहरे आदेश ने गठबंधन सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
फडणवीस और शिंदे का पक्ष
इस उलझन पर मुख्यमंत्री फडणवीस ने सफाई देते हुए कहा कि बेस्ट से जुड़े फैसले बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) लेता है, और वह इसमें सीधे शामिल नहीं हैं। दूसरी ओर, शहरी विकास विभाग ने दावा किया कि अश्विनी जोशी की नियुक्ति का कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं हुआ था।
विभाग के अनुसार, बेस्ट वर्कर्स यूनियन के योजनाबद्ध विरोध प्रदर्शन को देखते हुए जोशी को अस्थायी प्रभार देने की तैयारी थी। लेकिन इससे पहले ही सामान्य प्रशासन विभाग ने आशीष शर्मा को प्रभार सौंप दिया। यह स्थिति महायुति गठबंधन में समन्वय की कमी को दर्शाती है, जो पहले भी मंत्रालय बंटवारे और सीएम पद को लेकर विवादों में रही है। शिंदे और फडणवीस के बीच यह तनातनी गठबंधन की एकता पर सवाल खड़े कर रही है।
विपक्ष ने साधा निशाना
विपक्ष ने इस मामले को सरकार की नाकामी और अंदरूनी कलह का सबूत बताया। शिवसेना (यूबीटी) की बेस्ट कर्मचारी इकाई, कामगार सेना, ने दावा किया कि अश्विनी जोशी ने बेस्ट का प्रभार लेने से इनकार कर दिया, जिसके बाद रातोंरात आशीष शर्मा को यह जिम्मेदारी दी गई। शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने X पर तंज कसते हुए लिखा कि महायुति सरकार में समन्वय पूरी तरह खत्म हो चुका है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने इसे “गैंगवार” करार दिया। उन्होंने कहा कि फडणवीस और शिंदे अपने वफादारों को बड़े पदों पर बिठाने की होड़ में एक-दूसरे से भिड़ रहे हैं। एनसीपी (एसपी) के रोहित पवार ने चुटकी लेते हुए कहा कि बेस्ट कर्मचारी अब यह देख रहे हैं कि एक ही केबिन में दो कुर्सियां कब तक चलेंगी। विपक्ष का कहना है कि यह घटना सरकार की अस्थिरता और प्रशासनिक अराजकता को दर्शाती है।
बेस्ट, जो मुंबई की सार्वजनिक बस और बिजली आपूर्ति सेवाओं को संचालित करता है, लंबे समय से आर्थिक संकट, पुराने बस बेड़े, और कर्मचारी असंतोष की समस्याओं से जूझ रहा है। हाल के वर्षों में बेस्ट ने निजीकरण और बेड़े के आधुनिकीकरण की दिशा में कदम उठाए हैं, लेकिन कर्मचारी यूनियनों का विरोध बना हुआ है।
इस नियुक्ति विवाद ने न केवल बेस्ट के प्रशासन पर सवाल उठाए हैं, बल्कि गठबंधन सरकार की एकजुटता को भी कटघरे में खड़ा किया है। जानकारों का मानना है कि अगर यह तनाव जल्द हल नहीं हुआ, तो इसका असर मुंबई की परिवहन सेवाओं और बीएमसी के कामकाज पर पड़ सकता है।
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