‘जेन जेड’ रच रहे आपराधिक साजिश, काला साम्राज्य बना रहे खूंखार गैंगस्टर्स

Rashtrabaan

नई दिल्ली, राष्ट्रबाण। राजधानी दिल्ली में संगठित अपराध करने वाले गैंग और उसके खूंखार सरगनाओं की खतरनाक दुनिया हमेशा से पुलिस और प्रशासन के लिए सिरदर्द रहे हैं। इन गैंगस्टर्स के बीच अक्सर बदले की कार्रवाई खूनी मैदानी जंग में बदलकर नए गैंगवार के लिए जमीन और निशान बना कर जाती रही है। इसके चलते दिल्ली में बार-बार हिंसक वारदातें सामने आती रहती हैं।

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हिट लिस्ट में कौन-कौन?

एक समय दिल्ली पुलिस की कुख्यात गैंगस्टरों की हिट लिस्ट में टिल्लू ताजपुरिया, जितेंद्र गोगी, नीरज बवाना, मंजीत महल वगैरह के नाम प्रमुखता से शामिल थे। उनमें से हरेक ने एक अच्छी तरह से संचालित गैंग चलाया। जमीन कब्जा, अवैध शराब, जबरन वसूली और जुआ उनके ईंधन रहे हैं। इसके ज्यादातर गुर्गे, शागिर्द या शूटर पैसे, बंदूकें और जल्दी मशहूर होने के लालची कच्ची उम्र के युवा थे। इनकी संख्या सौ से अधिक थी।

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विदेशी धरती पर योजनाएं

इनमें से पहले अपराध की साजिश दिल्ली के सबसे नए ‘जेनजेड’ गैंगस्टर 21 साल के हिमांशु भाऊ ने रची थी। पुलिस ने कहा कि वह पश्चिम दिल्ली में अपना दबदबा कायम करने के लिए पुर्तगाल से काम कर रहा है। दूसरे हमले के पीछे पूर्वोत्तर दिल्ली के एक दिग्गज अपराधी हाशिम बाबा है। इन दोनों ने ही अपने प्रतिद्वंद्वियों से हिसाब बराबर करने के लिए हत्याओं की योजना बनाई थी।

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1990 के दशक में दिल्ली में उभरे कई आपराधिक गिरोह

दिल्ली पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, 1990 के दशक में राजधानी भीतरी इलाकों में और इसके आस-पास के इलाकों में कई प्रमुख आपराधिक गिरोह उभरे। वर्षों से वे जमीन, केबल व्यवसाय, शराब कारोबार वगैरह पर प्रभाव स्थापित करने को लेकर आपस में झगड़ते रहे। कई अपराधी जबरन वसूली में लगे हुए हैं तो कई व्यवसायियों को हफ्ता (एक्सटॉर्शन मनी) देने की धमकी दे रहे हैं।

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आमतौर पर खास इलाके और दबदबा

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के एक सीनियर ऑफिसर ने कहा कि गैंगस्टरों के पास आमतौर पर उनके खास इलाके होते हैं, जहां वे अपना दबदबा रखते हैं। बाहरी दिल्ली में स्थित लोगों का सोनीपत जैसे हरियाणा के कुछ हिस्सों में प्रभाव है। हालांकि, प्रभुत्व वाले क्षेत्र कायम हैं, लेकिन चीजें बदल गई हैं, क्योंकि गैंगस्टर्स पूरी दिल्ली में सक्रिय हैं। बाहरी दिल्ली में बैठा एक अपराधी अब दक्षिणी दिल्ली में एक बिल्डर को धमकी दे सकता है।

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सरगना को निकाल दें तो ताश के पत्तों की तरह ढहता है गैंग

गैंगस्टर्स जीवित रहते हुए किसी को प्रमुखता से उभरने नहीं देते। सरगना के चले जाने के बाद गिरोहों के लिए अपना दबदबा जारी रखना बहुत कठिन हो जाता है। यही कारण है कि काउंटर-गिरोह की रणनीति सांप के सिर को कुचलने की है… सरगना को बाहर निकाल दें और गिरोह ताश के पत्तों की तरह ढह जाएगा।

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