हाईकोर्ट में खुद को DSP बताने वाले जीडी शर्मा कैसे बने सिवनी के ASP? ट्रांसफर याचिका, शपथ पत्र और वेतन पर उठे गंभीर सवाल

Rashtrabaan

    सिवनी, राष्ट्रबाण। सिवनी जिले में पूर्व में पदस्थ रहे तत्कालीन एडिशनल एसपी जीडी शर्मा को लेकर अब एक बड़ा प्रशासनिक और कानूनी सवाल खड़ा हो गया है। मामला उनके पद, ट्रांसफर और हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं से जुड़ा हुआ है, जिस पर पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं। जानकारी के अनुसार जीडी शर्मा का 27 जून 2025 को तबादला किया गया था और दीपक मिश्रा को सिवनी एडिशनल एसपी बनाया गया था।

    इसके बाद जीडी शर्मा ने अपना ट्रांसफर रुकवाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर हाईकोर्ट जबलपुर की एकल पीठ द्वारा सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर दिया गया। बताया जा रहा है कि इसके पश्चात जीडी शर्मा द्वारा पुनः हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। हैरानी की बात यह भी कि जीडी शर्मा ने पुलिस मुख्यालय भोपाल द्वारा नोटिस जारी करने पर पुलिस मुख्यालय भोपाल में अपनी पदस्थापना ग्रहण कर ली है। लेकिन अब तक जीडी शर्मा ने नोटिस जारी करने के वाबजूद सरकारी बंगला खाली नही किया है। जिसको लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

    हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जीडी शर्मा के वकील के द्वारा बार-बार यह दलील दी गई कि जीडी शर्मा मूल रूप से डीएसपी (DSP) हैं। और वकील द्वारा जीडी शर्मा को न्यायाधीश के समक्ष DSP बताने का यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल भी हो रहा है। सूत्रों के अनुसार, इस संबंध में जीडी शर्मा द्वारा स्वयं को डीएसपी बताते हुए हाईकोर्ट में शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया गया है। इसी बिंदु पर अब सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि यदि जीडी शर्मा वास्तव में डीएसपी हैं, तो सिवनी जिले में उनकी पदस्थापना एडिशनल एसपी के पद पर कैसे की गई। यदि वे डीएसपी संवर्ग के अधिकारी हैं, तो एडिशनल एसपी के रूप में उनकी नियुक्ति नियमों के अनुरूप थी या नहीं, यह जांच का विषय बन गया है।

    इसके साथ ही यह भी सवाल उठ रहा है कि यदि जीडी शर्मा डीएसपी थे, तो सिवनी में पदस्थ रहते हुए उन्होंने एडिशनल एसपी पद से जुड़ी सुविधाएं और वेतन किस आधार पर लिया। ऐसे में क्या यह पदस्थापना अवैध मानी जाएगी और क्या इस दौरान प्राप्त वेतन एवं शासकीय सुविधाओं की वसूली की जा सकती है।
    अब यह मामला केवल एक अधिकारी के ट्रांसफर तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि पुलिस विभाग की प्रशासनिक प्रक्रिया और नियुक्ति प्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं।

    देखना होगा कि क्या पुलिस विभाग इस पूरे प्रकरण को संज्ञान में लेकर जांच करता है और यदि नियमों का उल्लंघन पाया जाता है, तो जीडी शर्मा के विरुद्ध क्या कार्रवाई की जाती है। फिलहाल यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है और पुलिस विभाग की अगली कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। जीडी शर्मा से फोन पर संपर्क कर इस विषय पर उनका पक्ष जानने की कई बार कोशिश की गई। लेकिन उनसे संपर्क नही हो पाया।

    DIG बोले जीडी को अपना पक्ष रखने की स्वतंत्रता

    इस संबंध में डीआईजी छिंदवाड़ा रेंज कहते है, याचिकाकर्ता जीडी शर्मा अपनी बात कोर्ट में रखने के लिए स्वतंत्र है। जीडी शर्मा की पोस्टिंग सिवनी जिले में एडिशनल एसपी के रूप में हुई थी और उनका ट्रांसफर भी सिवनी जिले से एडिशनल एसपी के पद से हुआ है। इसके पूर्व जीडी शर्मा की याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा जारी नोटिस पर पुलिस मुख्यालय भोपाल द्वारा जवाब दिया गया है। आगे भी पुलिस मुख्यालय इस संदर्भ में अपना जवाब कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेगा।

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