नई दिल्ली, राष्ट्रबाण: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में भारत ने एक बार फिर फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश बनाने के पक्ष में वोट दिया। शुक्रवार, 12 सितंबर 2025 को फ्रांस की ओर से लाए गए इस प्रस्ताव को 142 देशों का समर्थन मिला। लेकिन अमेरिका और इज़राइल समेत 10 देशों ने इसका विरोध किया।
शांति की नई उम्मीद
इस प्रस्ताव को ‘न्यूयॉर्क घोषणा’ के नाम से जाना जाता है। इसका मकसद गाजा में चल रहे युद्ध को खत्म करना और इज़राइल-फिलिस्तीन के बीच दो अलग-अलग देशों का समाधान लागू करना है। इस घोषणा में साफ कहा गया है कि फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र और संप्रभु देश का दर्जा मिलना चाहिए। साथ ही, गाजा पर शासन करने वाले हमास की कोई भूमिका नहीं होगी। भारत ने इस प्रस्ताव का समर्थन कर अपनी पुरानी नीति को दोहराया, जिसमें वो दो देशों के समाधान को बढ़ावा देता है।
इज़राइल और अमेरिका नाराज़
प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने वाले देशों में अमेरिका, इज़राइल, अर्जेंटीना और हंगरी शामिल हैं। इज़राइल ने इसे ‘शर्मनाक’ बताया और कहा कि इससे हमास जैसे संगठनों को बढ़ावा मिलेगा। दूसरी ओर, 12 देशों ने वोटिंग से दूरी बनाई। लेकिन 142 देशों का भारी समर्थन दिखाता है कि दुनिया शांति और दो देशों के समाधान के पक्ष में है।
भारत की पुरानी दोस्ती
भारत का फिलिस्तीन के साथ पुराना रिश्ता है। 1974 में भारत ने फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइज़ेशन को मान्यता दी थी और 1988 में फिलिस्तीन को देश के तौर पर स्वीकार किया। इस बार भी भारत ने UN में अपनी आवाज़ बुलंद की। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का ये कदम मिडिल ईस्ट में शांति के लिए उसकी प्रतिबद्धता दिखाता है।
ये वोटिंग 22 सितंबर से न्यूयॉर्क में होने वाले UN शिखर सम्मेलन से पहले हुई है। इस सम्मेलन की अगुवाई फ्रांस और सऊदी अरब करेंगे। फ्रांस ने पहले ही वादा किया है कि वो फिलिस्तीन को औपचारिक रूप से देश की मान्यता देगा। अब देखना है कि ये कदम मिडिल ईस्ट में शांति लाने में कितना कामयाब होता है।