बालाघाट, राष्ट्रबाण। पुलिस का दायित्व है की वह गैरकानूनी काम करने वालो पर कार्यवाही करते हुए आम जनता की सुरक्षा करें। लेकिन पुलिस विभाग के अधिकारी का यह ऑडियो ने पुरे पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिया है कि वह आम जनता की सुरक्षा के लिए तैनात है या फिर अपराधियों के संरक्षक ?
ऑडियो बालघाट जिले के बैहर थाना प्रभारी रेवल सिंग बर्डे और पत्रकार प्रदीप बिसेन के बीच हुई बातचीत का है। जिसमे पत्रकार प्रदीप द्वारा मड़ई में जुआ की जानकारी दी गई लेकिन पुलिस द्वारा कार्यवाही नहीं की गई और जुआ खिलाने वाले नालकट द्वारा पत्रकार को धमकी और चमकाया गया। इसकी जानकारी पत्रकार द्वारा बैहर थाना प्रभारी रेवाल सिंह को देते हुए पनि सुरक्षा की बात कही गई, जिस पर जवाब देते हुए ठहाके लगाया। ऑडियो में पत्रकार द्वारा लोकतंत्र के चौथा स्तंभ पर हमला हो जाने र खुद पर हमले से मरने पर पुलिस द्वारा कार्यवाही नहीं करने की बात कही गई तो थाना प्रभारी ने इस पर पत्रकार को पोस्टमार्डम कराने की बट कह दी। थाना प्रभारी ने कहा तुम कार्यवाही नहीं करने की बात कर रहे हो तुम्हारे मरने के बाद तुम्हारा पोस्टमार्डम करा देंगे।
बता देने की बिरसा क्षेत्र के मड़ई मेले मे इस्ट्राइगर जुआ खुलेआम चलता है। मड़ई में भोले भाले किसान मजदूर अपना मनोरंजन के लिए एक त्यौहार के रूप मे मेले का आनंद लेने के लिए जाते है। लेकिन वही लालच देकर जुआ (इस्ट्राइगर) खिलवा कर कुछ लोग गरीब भोली भली जनता को 100का 200 लालच देकर लुटा जा रहा है। जब मेले मे पत्रकार के द्वारा वहा रोकने की कोशिस की जाती है तो जुआ खिलवाने वाले मफियाओ के द्वारा पत्रकार को मारने की धमकी दी जाती है। यही बात को सुनकर पत्रकार बिरसा थाना के प्रभारी को कॉल कर जानकारी देता है। थाना प्रभारी के द्वारा आश्वासन दिया जाता की वह पुलिस को पहुंचवा रहे है लेकिन 10- 20 मिनट बाद जब ज्यादा आक्रोश बढ़ जाता है।
तब पत्रकार द्वारा थाना प्रभारीको पुनः कॉल किया जाता है उसके बाद भी थाना प्रभारी द्वारा कोई बल नहीं पहुंचाया जाता। तब पत्रकार द्वारा पुनः तीसरी बार थाना प्रभारी रेवल सिंग बर्डे से कॉल मे बात कर बोला जाता है कि सर जी वहा कोई मार पिट हो जाये या कोई हादसा हो जाये तो थाना प्रभारी द्वारा गैरजिम्मेदाराना जवाब देते हुए पोस्टमार्डम की बात कहते है। जब एक पत्रकार के साथ पुलिस का यह रवैया है और ऍम जनता के साथ कैसा व्यवहार होगा इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। साथ ही यह भी सवाल उठता है की क्षेत्र के अपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगो को पुलिस का कितना भय है और पुलिस अपराध रोकने में कितनी चुस्त है इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है।