खंडवा मस्जिद विवाद: आर्टिकल 19 बनाम BNS की धारा 223, ओवैसी के सवाल से गरमाई सियासत

Khanwa News: मध्यप्रदेश के खंडवा में मस्जिद से जुड़ा विवाद अब संविधान और नए आपराधिक कानून की बहस में बदल गया है। पुलिस ने बिहार से आए इमाम और मस्जिद के सदर पर केस दर्ज किया तो AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी कूद पड़े। ओवैसी ने सीधा सवाल दागा- क्या नागरिकों को मिलने वाला मौलिक अधिकार (आर्टिकल 19) बड़ा है या फिर BNS की धारा 223? यही सवाल अब सियासत और कानूनी हलकों में तूल पकड़ चुका है।

Rashtrabaan

    खंडवा, राष्ट्रबाण। खंडवा जिले की खारकलां मस्जिद में 9 सितंबर को बिहार से आए इमाम अख्तर रजा शेख (Akhtar Raza Sheikh) को बिना किसी प्रशासनिक सूचना दिए रुकवाया गया। प्रशासन के मुताबिक, बाहर से किसी भी व्यक्ति के मस्जिद या धार्मिक स्थल में ठहरने की स्थिति में संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी देना अनिवार्य है। लेकिन इस नियम का पालन नहीं हुआ। इसके चलते पुलिस ने मस्जिद की देखरेख करने वाले हाजी हनीफ खान और बिहार से आए इमाम अख्तर रजा शेख दोनों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया।

    किस धारा में दर्ज हुआ केस?

    पुलिस ने इसे जिला दंडाधिकारी के आदेश की अवहेलना माना और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 223 के तहत मामला दर्ज किया। खालवा थाना क्षेत्र में अपराध क्रमांक 319/25 के तहत यह केस दर्ज किया गया है। खंडवा एसपी मनोज राय ने स्पष्ट किया कि जिला प्रशासन के आदेश के अनुसार बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति का पूरा ब्यौरा देना जरूरी है। नियम तोड़े जाने पर ही कार्रवाई की गई।

    ओवैसी की एंट्री और बड़ा सवाल

    इस पूरे विवाद में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की एंट्री ने माहौल बदल दिया। उन्होंने पुलिस से सीधे सवाल किया—
    “क्या संविधान का आर्टिकल 19, जो नागरिकों को कहीं भी आने-जाने और बसने की आज़ादी देता है, बड़ा है या फिर BNS की धारा 223?” ओवैसी के इस सवाल ने मामले को संवैधानिक अधिकार बनाम प्रशासनिक नियमों की बहस में ला खड़ा किया।

    आर्टिकल 19 बनाम धारा 223

    आर्टिकल 19 (संविधान): नागरिकों को कहीं भी आने-जाने, बसने और स्वतंत्रता से अपने विचार रखने का मौलिक अधिकार देता है।
    BNS धारा 223: सरकारी आदेशों और जिला दंडाधिकारी के निर्देशों की अवहेलना करने वालों पर कार्रवाई का प्रावधान है।
    यही टकराव अब कानूनी व्याख्या और राजनीतिक विवाद का विषय बन गया है।

    क्यों बढ़ा विवाद?

    1. बिहार से आए इमाम अख्तर रजा शेख मस्जिद में बिना सूचना दिए ठहरे।
    2. मस्जिद के सदर और इमाम दोनों पर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया।
    3. पुलिस का तर्क: जिला दंडाधिकारी के आदेश का उल्लंघन हुआ।
    4. ओवैसी का सवाल: संविधान के मौलिक अधिकार और प्रशासनिक आदेश में बड़ा कौन?

    राजनीतिक रंग

    ओवैसी के बयान के बाद यह मामला सिर्फ पुलिसिया कार्रवाई तक नहीं रहा। इसे अब धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों से जोड़ा जा रहा है। AIMIM की ओर से इसे नागरिक अधिकारों पर अंकुश बताकर विरोध जताया जा रहा है। दूसरी ओर प्रशासन इसे सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की दृष्टि से आवश्यक नियम बता रहा है। यह विवाद अब कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर जारी रहेगा। एक ओर पुलिस और प्रशासन अपने आदेशों का हवाला दे रहे हैं, वहीं AIMIM प्रमुख ओवैसी इस मुद्दे को मौलिक अधिकारों की लड़ाई के रूप में पेश कर रहे हैं। आने वाले दिनों में यह मामला अदालत से लेकर सियासी मंचों तक गूंज सकता है।

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