अमरावती, राष्ट्रबाण. जिले का मेलघाट अपनी सुंदरता और साथ ही समस्याओं के लिए जाना जाता है. कुपोषण के बाद अब खड़ीमल गांव की पेयजल समस्या राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गई है. यहां जलापूर्ति योजनाएं विफल हो गई हैं. गर्मी में जलसंकट से हालात ऐसी है कि महिलाओं को अपना सारा काम छोड़कर कड़ी धूप में पानी के टैंकरों का इंतजार करना पड़ा. गर्भवती महिलाएं और बच्चे भी पानी भरने के लिए कतार में लग रहे है.
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मेलघाट के चिखलदरा तहसील में हर साल पानी की किल्ल्त होती है. इस बार तो मई महीने की शुरुआत से यहां पानी नहीं है. यहां के स्थानीय लोगों का का आरोप है कि सरकार और प्रशासन पानी की कमी को गंभीरता से नहीं ले रही है, इस भीषण गर्मी में भी ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, जबकि दूसरी ओर नेता स्थानीय मुद्दे को छोड़ चुनाव में व्यस्त हैं.
यंहा स्थिति ये है कि ग्रामीण अपनी प्यास बुझाने और अन्य जरूरतों के लिए टैंकर से होने वाली जलापूर्ति पर पूरी तरह से निर्भर है. टैंकरों द्वारा कुएं में डाला गया पानी भी स्वच्छ नहीं है, इसके बाद भी इस पानी को भरने के लिए लोगों में होड़ लग जाती. गांव में टैंकर के पहुँचने के पहले ही ग्रामीण लाइन लगाकर बैठ जाते है. जबकि ग्रामीण पेयजल के लिए 15 किमी दूर से पानी ला रहे हैं.
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मेलघाट में कुपोषण के बाद खडीमल की पेयजल समस्या राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गई है. टाइगर रिजर्व क्षेत्र होने से यहां जलापूर्ति योजनाएं विफल हो गई हैं, हर साल गर्मी में यहां यही हालात रहते हैं. इसके बाद यहां पानी की समस्या के लिए कोई स्थायी उपाय नहीं किया गया है. जिससे लोगों को आज भी पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.