ममता सरकार के नए कानून पर अल्ट्राटेक-ग्रासिम का विरोध, कंपनियां पहुंचीं कोर्ट

Rahul Maurya
Mamata became strict, said- 'Wakf Amendment Act will not be implemented in Bengal'

    कोलकाता, राष्ट्रबान: पश्चिम बंगाल में उद्योगों और सरकार के बीच फिर टकराव बढ़ गया है। ममता बनर्जी सरकार ने हाल ही में एक कानून पास किया, जो उद्योगों को मिलने वाली सभी छूट, सब्सिडी और प्रोत्साहन खत्म करता है। इस कानून के खिलाफ अल्ट्राटेक सीमेंट, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, डालमिया सीमेंट, इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग लिमिटेड और नुवोको विस्टास जैसी कंपनियां कलकत्ता हाईकोर्ट पहुंच गई हैं। कंपनियों का कहना है कि यह कानून असंवैधानिक है और 1993 से पीछे की तारीख से लागू किया जा रहा है, जो गलत है। इससे बंगाल में उद्योग खत्म हो जाएंगे।

    कानून की मुख्य बातें

    पश्चिम बंगाल सरकार ने 2 अप्रैल को यह कानून अधिसूचित किया। इसमें टैक्स छूट, सब्सिडी, ब्याज माफी और अन्य लाभों को पूरी तरह बंद कर दिया गया है। कंपनियों को 1993 से अब तक मिले सभी लाभ वापस करने पड़ सकते हैं। सरकार का कहना है कि ये पैसे अब सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की योजनाओं पर खर्च होंगे। अधिकारियों का दावा है कि इससे आम लोगों को फायदा पहुंचेगा, न कि कंपनियों को।

    कंपनियों की दलीलें

    अल्ट्राटेक, ग्रासिम, डालमिया समेत कंपनियों ने अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की हैं। उनका कहना है कि कानून पुरानी तारीख से लागू करना संविधान के खिलाफ है। इससे निवेश प्रभावित होगा और उद्योगों का विकास रुक जाएगा। कंपनियां कह रही हैं कि सरकार ने पहले सुविधाएं देकर निवेश आकर्षित किया, अब सब छीन लिया। वे कानून को रद्द करने की मांग कर रही हैं। हाईकोर्ट 7 नवंबर को सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगा।

    सरकार का पक्ष और नई नीति का वादा

    ममता सरकार का तर्क है कि कंपनियों को लाभ देने के बजाय जन कल्याण पर फोकस करना जरूरी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नई औद्योगिक नीति जल्द आएगी, जो कंपनियों की चिंताओं को दूर करेगी। लेकिन कंपनियां इंतजार नहीं कर रही हैं और सीधे कोर्ट चली गईं। सरकार का कहना है कि यह कानून राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएगा।

    सिंघुर और नंदीग्राम की यादें

    बंगाल में उद्योगों की कब्रगाह बनने की चर्चा पुरानी है। सिंघुर और नंदीग्राम में टाटा प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण पर हुए विरोध ने ममता बनर्जी को सत्ता दिलाई थी। अब यह कानून उन घटनाओं की याद दिला रहा है। बंगाल कभी कारोबार का केंद्र था, लेकिन अब निवेश कम हो रहा है। कंपनियां कह रही हैं कि ऐसे कानून से राज्य में उद्योगों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।

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