महाराष्ट्र, राष्ट्रबाण: नागपुर नगर निगम (NMC) ने 15 अगस्त 2025 को स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी के अवसर पर शहर में सभी स्लॉटरहाउस और मांस की दुकानों को बंद रखने का आदेश जारी किया है। यह निर्णय महाराष्ट्र सरकार के एक पुराने निर्देश के आधार पर लिया गया है, लेकिन इसने सियासी विवाद को जन्म दे दिया है। विपक्षी दलों और कुछ गठबंधन नेताओं ने इस फैसले को व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला बताकर तीखी आलोचना की है।
NMC का आदेश और कार्रवाई की चेतावनी
नगर निगम के ठोस कचरा प्रबंधन विभाग के उपायुक्त राजेश भगत ने 12 अगस्त को यह आदेश जारी किया। इसमें कहा गया है कि 15 अगस्त को नागपुर की सीमा में सभी स्लॉटरहाउस, मांस की दुकानें और आउटलेट बंद रहेंगे। आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ नगर निगम का उड़न दस्ता सख्त कार्रवाई करेगा। यह निर्णय स्वतंत्रता दिवस के साथ-साथ जन्माष्टमी (गोकुल अष्टमी) के मौके पर लिया गया है, जो इस साल मराठी कैलेंडर के अनुसार एक ही दिन पड़ रहा है।
अन्य शहरों में भी समान आदेश
नागपुर के अलावा, महाराष्ट्र के कई अन्य नगर निगमों ने भी 15 अगस्त को मांस की बिक्री और स्लॉटरहाउस बंद करने के आदेश जारी किए हैं। छत्रपति संभाजीनगर नगर निगम ने 15 अगस्त (जन्माष्टमी) और 20 अगस्त (जैन समुदाय का पर्युषण पर्व) के लिए ऐसा ही आदेश दिया है। कल्याण-डोंबिवली नगर निगम (KDMC), मालेगांव, नासिक, जलगाँव, कोल्हापुर और इचलकरंजी जैसे शहरों में भी समान निर्देश लागू किए गए हैं। इन आदेशों में स्लॉटरहाउस और मांस की दुकानों को 24 घंटे के लिए बंद रखने और उल्लंघन पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
नेताओं की प्रतिक्रिया
इस फैसले ने महाराष्ट्र में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इसे “गलत” करार देते हुए कहा कि स्वतंत्रता दिवस, महाराष्ट्र दिवस या गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर ऐसी पाबंदियाँ उचित नहीं हैं। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र में विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग रहते हैं। धार्मिक संवेदनाओं के लिए आषाढ़ी एकादशी या महावीर जयंती जैसे अवसरों पर ऐसी पाबंदियाँ समझ में आती हैं, लेकिन राष्ट्रीय अवकाश पर यह ठीक नहीं।”
शिव सेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने कल्याण-डोंबिवली नगर निगम के आयुक्त की निलंबन की माँग की और कहा, “हमारे खान-पान पर फैसला लेना प्रशासन का काम नहीं है। स्वतंत्रता दिवस पर लोग जो चाहें खाएँ, यह उनकी आजादी है।” ठाकरे ने X पर लिखा, “नवरात्रि में भी हमारी परंपरा में झींगा और मछली खाने का चलन है। सड़कों की मरम्मत और बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देने की बजाय प्रशासन खान-पान पर पाबंदी लगा रहा है।”
NCP (SP) विधायक जितेंद्र आव्हाड ने इस आदेश को “अति” बताते हुए 15 अगस्त को मटन पार्टी आयोजित करने की घोषणा की। उन्होंने सवाल उठाया, “लोगों को क्या खाना चाहिए, यह तय करने का हक किसे है?”
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे “असंवैधानिक” करार दिया और कहा, “स्वतंत्रता दिवस का मांस खाने से क्या लेना-देना? तेलंगाना में 99% लोग मांस खाते हैं। यह लोगों की स्वतंत्रता, गोपनीयता, आजीविका और संस्कृति पर हमला है।”
मुख्यमंत्री फडणवीस का स्पष्टीकरण
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस विवाद को “अनावश्यक” बताते हुए कहा कि यह निर्णय 1988 के सरकारी संकल्प (GR) का हिस्सा है, जो पहले की सरकारों के समय लागू था। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार का लोगों के खान-पान को नियंत्रित करने का कोई इरादा नहीं है। यह पुराना नियम है, जिसे नगर निगम हर साल लागू करते हैं। उद्धव ठाकरे की सरकार में भी 2021 और 2022 में ऐसा ही हुआ था।” फडणवीस ने यह भी कहा कि कुछ लोग इसे उनकी सरकार का निर्णय बताकर विवाद पैदा कर रहे हैं।
BJP का जवाब और पुराना नियम
BJP प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने कहा कि यह नीति 1988 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री शंकरराव चव्हाण के समय लागू की गई थी और बाद में शरद पवार ने इसे बरकरार रखा। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “जितेंद्र आव्हाड और आदित्य ठाकरे, जो MVA सरकार में मंत्री थे, अब इसे भूलने का नाटक कर रहे हैं।”
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