भोपाल, राष्ट्रबाण। केंद्र सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने राज्य सरकार के स्कूलों पर संविदा वोकेशनल ट्रेनर्स की नियुक्ति की, जिसे राज्य सरकार के लोक शिक्षण संचनालय द्वारा आउटसोर्स ठेका कंपनी द्वारा भर्ती किया गया। लेकिन अब आउटसोर्स भर्ती में धांधली शुरू हो गई और यह भर्ती ठेका कंपनी और संचनालय के बिचौलियों के बीच धन अर्जित करने का जरिया बन गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश के स्कूलों पर इन ट्रेनर्सो की नियुक्ति 10 वर्ष पूर्व की गई थी। ये ट्रेनर्स अपना काम कर रहे थे लेकिन लोक शिक्षण संचनालय द्वारा व्यावसायिक प्रशिक्षकों की नियुक्ति के लिए एक विज्ञापन जारी किया जिसमे पूर्व से इस पद पर कार्यरत प्रशिक्षकों को हटा कर नए सिरे से संविदा वोकेशन ट्रेनर्स की नियुक्ति की जानी है। विभागीय सूत्रों की माने तो यह नीति लोक शिक्षण संचनालय और आउटसोर्स ठेका कंपनी के अधिकारियों के बीच आर्थिक लाभ लेने के लिए बनाई गई है जिससे पुराने प्रशिक्षकों को हटा कर नए प्रशक्षकों की नियुक्ति में मोती रकम वसूली जा सके।
कोर्ट में याचिका दायर
संविदा वोकेशनल ट्रेनर्स के विज्ञापन जारी होने के बाद सागर निवासी गोविंद प्रसाद सेन ने कोर्ट की शरण ली। गोविंद प्रसाद सेन सहित चार सौ से अधिक संविदा वोकेशनल ट्रेनर्स की और से वरिष्ट अधिवक्ता शशांक शेखर व समरेश कटारे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी की दो जुलाई को व्यावसायिक प्रशिक्षकों की नियुक्ति के लिए एक विज्ञापन जारी किया गया। पूर्व से इस पद पर कार्य कर रहे प्रशिक्षकों हटा कर नए सिरे से वोकेशनल ट्रेनर्स की नियुक्ति की जा रही है, जो अनुचित है।
याचिका पर न्यायालय की टिप्पणी
याचिकाकर्ता पिछले 10 वर्षो से अधिक समय से काम कर रहे है। इस विज्ञापन के चलते कार्यरत ट्रेनर्स को भी नई चयन प्रक्रिया यानी परीक्षा व साक्षात्कार से गुजरना होगा, जो अनुचित है। वर्ष 2021 में भी इस तरह की याचिका दायर हुई थी, जिसमे यह अभिवचन दिया गया था की याचिकाकर्ता को नई चयन प्रक्रिया से गुरने की आवश्यकता नहीं होगी। न्यायालय ने यह भी कहा की उम्मीदवारो की योग्यता सुनिश्चित करने के लिए एक बार जाँच होनी चाहिए और जाँच में संतुष्ट होने के बाद याचिकाकर्ता को जारी रखने की अनुमति दी जाएगी। लिहाजा, उन्हें नई चयन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।
अब नेताओ में दिख रही नियुक्ति पर रूचि
व्यवसायिक शिक्षकों की भर्ती का मामला और भी तूल पकड़ता नजर आ रहा है। व्यवसायिक शिक्षकों की भर्ती प्रिक्रिया में नेताओं के नाम का सहारा लेकर रमसा के आला अधिकारी अपनी मनमर्जी कर रहे है। सूत्रों कि माने तो अब मंत्री जी के नाम की आड़ लेकर रमसा के बड़े अधिकारी अपनी खिचड़ी पका रहे है। अब ये अपने पद का फायदा उठाते हुए ,कंपनियों को धमका कर अपने लोगो के नाम की लिस्ट भेज कर भर्ती के लिए प्रेशर बना रहे है। दूसरी ओर इन व्यवसायिक शिक्षकों को कोर्ट ने अगली सुनबाई की तारीख बढ़ा दी है और इसीका फायदा उठाते हुए बड़े बड़े नामो का सहारा लेकर रमसा में एक नया ही खेल शुरू हो गया है। अब अधिकारी और नेता अपनी-अपनी गोटी सेट कर, रोटी सेक रहे है।