MP News : स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज की उपाधि पर उठे सवाल, शंकराचार्य या स्वयंभू शंकराचार्य?

Rashtrabaan
Highlights
  • शंकराचार्य स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रतिनिधि मंडल ने स्वामी प्रज्ञानानंद को बताया स्वयंभू शंकराचार्य
  • स्वामी प्रज्ञानानंद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शंकराचार्य होने पर सवाल उठाये

सिवनी, राष्ट्रबाण। गुरु पूर्णिमा के दो दिन पूर्व ही जिले में शंकराचार्य की उपाधि को लेकर सवाल, बबाल और घमासान मचा हुआ है। गुरु पूर्णिमा में स्वामी प्रज्ञानानंद का सिवनी आगमन होना था जिसे उनके अनुयायियों द्वारा बड़े प्रचार प्रसार के साथ उन्हें दो पीठ के शंकराचार्य की उपाधि के साथ सिवनी के प्रथम नगर आगमन पर बधाई दे रहे थे तो वही द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रतिनिधि मंडल सिवनी पहुँच कर स्वामी प्रज्ञानानंद के दो पीठ के शंकराचार्य की उपाधि पर सवाल करते हुए उन्हें स्वयंभू शंकरचार्य बताया।
बता दें की गुरुवार को प्रतिनिधि मंडल ने स्वामी प्रज्ञानानंद को सिवनी के गौरव का कलंक बताते हुए कहा की दो पीठ का कोई शंकराचार्य नहीं बना यह गौरव स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के नाम है, पुरे भारत में उनका गौरव बेजोड़ है। 1973 में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज को एक पीठ का शंकरचार्य बनाया गया और 1982 में द्वारका पीठ का शंकराचार्य विशेष परिस्थिति में उन्हें बनाया गया। लेकिन इस गौरव में उनका ही एक शिष्य प्रज्ञानानंद सरस्वती जो सरस्वती टाइटल भी खुद से जोड़ा हुआ है।

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स्वामी प्रज्ञानानंद ने लगाए आरोप

सिवनी में गुरु पूर्णिमा के दिन शंकराचार्य पद को लेकर स्वामी प्रज्ञानानंद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शंकराचार्य होने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट से रोक है तो वे शंकराचार्य कैसे हुए? यही नहीं उन्होंने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को अपशब्द तक कह दिए। बता दें कि सिवनी शहर के बाहुबली लॉन में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर स्वामी प्रज्ञानंद ने धार्मिक सभा का आयोजन किया था। इस दौरान उन्होंने असली और नकली शंकराचार्य के वर्चस्व की लड़ाई एक बार फिर से छेड़ दी है। प्रज्ञानंद महाराज ने कहा कि जब अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शंकराचार्य को सुप्रीम कोर्ट शंकराचार्य मानने से इनकार कर चुका है। तो वह अपने आप को शंकराचार्य कैसे कहते हैं ? आगे उन्होंने कहा कि अंबानी परिवार के यहां बुलाने से या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आशीर्वाद देने से कोई शंकराचार्य नहीं हो जाता।

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