नागपुर : माहेश्वरी समाज के भूषण व प्रखर पत्रकार विनोद बाबू माहेश्वरी ने कहा-अलविदा, डेंगू से पीड़ित चल रहे थे

Rashtrabaan

नागपुर, राष्ट्रबाण। ‘नवभारत-नवराष्ट्र’ समाचार-पत्र समूह के प्रधान संपादक विनोद बाबू माहेश्वरी नहीं रहे। वे 79 वर्ष के थे। गत कई दिनों से वे डेंगू से पीड़ित चल रहे थे। स्थानीय केयर अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था, लेकिन कुछ विशेष लाभ नहीं हो रहा था। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें एयरलिफ्ट कर मुंबई ले जाया गया। वहां के अस्पताल में उपचार के दौरान उन्होंने सोमवार की सुबह 7 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर पहुंचते ही समूचा नागपुर शोक में डूब गया।

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भाषाई विद्वता का कोई जोड़ नहीं

माहेश्वरी समाज के भूषण व प्रखर पत्रकार के निधन के समाचार से समूचे अखबार जगत के अलावा माहेश्वरी समाज में शोक की लहर छा गई। माहेश्वरी समाज की सर्वोच्च सामाजिक संस्था अखिल भारतीय माहेश्वरी महासभा के कई वर्षों तक सभापति रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. रामगोपालजी माहेश्वरी के सुपुत्र विनोद बाबू माहेश्वरी की पत्रकारिता जगत में काफी अच्छी पकड़ थी। वे अखबार जगत की बारीकियों को काफी अच्छे से समझते थे। उनके साथ काम करने वाले उनकी मितभाषिता के कायल थे। भाषाई विद्वता का कोई जोड़ नहीं। उनके मार्गदर्शन में शहर तथा देश के कई विख्यात पत्रकारों ने कार्य किया।

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पृथक विदर्भ के समर्थक

उन्हें विदर्भ के प्रति विशेष मोह था। पृथक विदर्भ के वे कट्टर समर्थक रहे। नागपुर शहर के सर्वांगीण विकास को लेकर हमेशा मुखर रहे। विकास-पथ पर अग्रसर नागपुर को उन्होंने काफी करीब से दशखों तक देखा। शहर विकास को लेकर ‘नवभारत’ में अक्सर पठनीय सामग्री दिया करते थे।

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राजनीति से दूरी

राजनीति से दूरी बनाकर ही रहते थे, लेकिन राजनीतिक चेहरे हमेशा उनके पास आते थे। विचार-विमर्श और सीख से धन्य होते रहे। कोशिशें भी की, विधायक-राज्यसभा सदस्य बनने के ऑफर दिए, लेकिन विनम्रता से बाबूजी उसे ठुकराते रहे।

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माहेश्वरी समाज में अच्छी पैठ

माहेश्वरी समाज में उनकी अच्छी पैठ थी। वे विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए थे। खासकर विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री थे। इसके जरिये उन्होंने नागपुर शहर तथा मध्य भारत में हिन्दी को बढ़ावा देने, हिन्दी साहित्यकारों को सम्मान देने का कार्य अंतिम सांस तक जारी रखा।

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मराठी दैनिक को दी नई ऊंचाई

‘नवभारत’ के अलावा उन्होंने मराठी दैनिक ‘नवराष्ट्र’ का भी प्रकाशन नागपुर से शुरू किया। वे अपने पीछे पत्नी श्रीरंगादेवी माहेश्वरी, पुत्र निमिष माहेश्वरी, पुत्रवधू श्रीमती अनुपमा माहेश्वरी, पौत्र वैभव माहेश्वरी, पौत्रवधू श्रीमती श्रुति माहेश्वरी, पौत्र राघव माहेश्वरी सहित भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं।

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