नेपाल में हंगामा: सोशल मीडिया बैन से भड़के GEN-Z, संसद पर हमला, 16 की मौत

Rahul Maurya

नेपाल, राष्ट्रबाण: नेपाल की राजधानी काठमांडू में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर बैन के खिलाफ जेन-जेड प्रदर्शनकारियों का गुस्सा सड़कों से संसद तक पहुंच गया। सोमवार, 8 सितंबर 2025 को हुए हिंसक प्रदर्शनों में कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा घायल हुए। शांतिपूर्ण शुरुआत के बावजूद, प्रदर्शनकारियों ने संसद परिसर में घुसकर तोड़फोड़ की, जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस, रबर बुलेट्स और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। आखिर यह विवाद कैसे शुरू हुआ और हालात इतने बिगड़ क्यों गए?

सोशल मीडिया पर क्यों लगा बैन?

नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जिनमें फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप और एक्स शामिल हैं, पर बैन लगा दिया। कारण था कि ये कंपनियां संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में पंजीकरण कराने में नाकाम रहीं। सरकार ने इन्हें 28 अगस्त से सात दिन का समय दिया था, लेकिन कंपनियों ने जवाब में कहा कि वे नेपाल के कानून को नहीं मानतीं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इसे राष्ट्रीय सम्मान का सवाल बताया, लेकिन इस फैसले ने युवाओं में भारी गुस्सा भड़का दिया।

Gen-Z का गुस्सा और हिंसा

रविवार को काठमांडू के मैतीघर मंडला में पत्रकारों और युवाओं ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू किया, जिसमें ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ और ‘सोशल मीडिया अनबैन’ जैसे नारे लगाए गए। लेकिन सोमवार को हालात बेकाबू हो गए। हजारों जेन-जेड प्रदर्शनकारी (1997-2012 के बीच जन्मे युवा) संसद परिसर में घुस गए, गेट तोड़ दिए और आगजनी की। पुलिस ने जवाब में रबर बुलेट्स, आंसू गैस और हवाई फायरिंग का सहारा लिया। हिमालयन टाइम्स के अनुसार, 5 लोग ट्रॉमा सेंटर, 2 सिविल हॉस्पिटल और 1 काठमांडू मेडिकल कॉलेज में मारे गए। कई पत्रकार भी घायल हुए।

काठमांडू में कर्फ्यू और सेना तैनात

हिंसा के बाद काठमांडू जिला प्रशासन ने बाणेश्वर, महाराजगंज, लैनचौर और सिंह दरबार जैसे संवेदनशील इलाकों में दोपहर 1 बजे से रात 10 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया। बाणेश्वर में सेना तैनात की गई, जहां प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी की। बीरतनगर, पोखरा और चितवन जैसे शहरों में भी विरोध प्रदर्शन फैल गए।

क्यों भड़के युवा?

Gen-Z प्रदर्शनकारी न केवल सोशल मीडिया बैन, बल्कि देश में भ्रष्टाचार और शासन की नाकामी के खिलाफ भी आवाज उठा रहे हैं। टिकटॉक (जो अभी बैन नहीं है) पर वायरल वीडियो में नेताओं के बच्चों की लग्जरी लाइफ की तुलना आम लोगों की गरीबी से की गई, जिसने गुस्से को और भड़काया। प्रदर्शनकारी इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला मानते हैं।

नेपाल में सोशल मीडिया बैन ने Gen-Z के बीच गुस्से की आग भड़का दी, जो अब हिंसक प्रदर्शनों में बदल गई। सरकार के सामने अब चुनौती है कि वह इस संकट को कैसे संभालती है। क्या यह बैन हटेगा, या हालात और बिगड़ेंगे? यह समय बताएगा।

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