अब संघर्ष विराम चाहते हैं नक्सली

सरकार यदि ऑपरेशन बंद करने का घोषणा करती है तो नक्सली भी युद्ध विराम को तैयार है।

Rashtrabaan Digital

– सेंट्रल कमेटी बोला- हम बातचीत के लिए तैयार

 जगदलपुर. राष्ट्रबाण। सरकार यदि ऑपरेशन बंद करने का घोषणा करती है तो नक्सली भी युद्ध विराम को तैयार है। केंद्रीय गृह मंत्री के बस्तर आने से पहले नक्सलियों ने युद्ध विराम की मांग की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बस्तर में नक्सल उन्मूलन नीति, बस्तर पंडुम महोत्सव में शामिल होने छत्तीसगढ़ दौरे पर आ रहे हैं। वे 4 अप्रैल को रायपुर पहुंचेंगे। रायपुर में विश्राम के बाद दूसरे दिन बस्तर पहुंचेंगे। यहां मां दंतेश्वरी के दर्शन करेंगे और बस्तर पंडुम महोत्सव के समापन समारोह में शामिल होंगे। इस अवसर पर वे बस्तर के स्थानीय जनप्रतिनिधियों, सुरक्षा बलों के कमांडरों और अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक करेंगे। इसके उपरांत वे रायपुर लौटकर प्रशासनिक बैठक में भाग लेंगे।

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शांति वार्ता की मांग

बीते कुछ महीनों से सुरक्षाबलों की टीम लगातार ऑपरेशन चला रही है, जिसमें कई बड़े खूंखार नक्सली लीडर्स को जवानों ने ढेर कर दिया है। सीपीआई (माओवादी) केंद्रीय समिति का हालिया बयान उनके प्रवक्ता अभय द्वारा जारी किया। बयान में तत्काल युद्ध विराम और शांति वार्ता की मांग की गई है, जिसमें भारत सरकार से ऑपरेशन को रोकने का आग्रह किया गया है। उनका दावा है कि इसके कारण आदिवासी समुदायों के खिलाफ काफी हिंसा हुई है। वे सुरक्षा बलों की वापसी और आतंकवाद विरोधी अभियानों को रोकने की मांग की हैं। साथ ही इन शर्तों के पूरा होने पर बातचीत के लिए तैयार हैं।

युद्ध विराम की अपील

सीपीआई (माओवादी) केंद्रीय समिति ने मध्य भारत में युद्ध को तत्काल रोकने का आह्वान किया है। वे शांति वार्ता को सुगम बनाने के लिए भारत सरकार और सीपीआई (माओवादी) दोनों से बिना शर्त युद्ध विराम की मांग करते हैं। बता दें कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर माओवादी-प्रभावित क्षेत्रों को लक्षित करते हुए ‘कागर’ नामक एक गहन आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू किया। इस अभियान के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर हिंसा, हत्याएं और सामूहिक गिरफ्तारियां हुई हैं।

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शांति वार्ता के लिए माओवादियों की शर्तें

• प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों से सुरक्षा बलों की तत्काल वापसी।

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• नई सैन्य तैनाती का अंत।

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• आतंकवाद विरोधी अभियानों का निलंबन।

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सरकार के खिलाफ आरोप

• सरकार पर क्रांतिकारी आंदोलनों को दबाने के लिए आदिवासी समुदायों के खिलाफ “नरसंहार युद्ध” छेड़ने का आरोप है। नागरिक क्षेत्रों में सैन्य बलों के उपयोग को असंवैधानिक बताया है।

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सीपीआई (माओवादी) ने जनता से समर्थन मांगा

माओवादियों ने बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार संगठनों, पत्रकारों, छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं से शांति वार्ता के लिए सरकार पर दबाव बनाने का आग्रह किया। वार्ता के लिए गति बनाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने का अनुरोध किया गया। अगर सरकार उनकी पूर्व शर्तों पर सहमत होती है तो वे बातचीत में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करते हैं। सीपीआई (माओवादी) ने कहा कि जैसे ही सरकार सैन्य अभियान बंद करेगी, वे युद्ध विराम की घोषणा करेंगे।

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