धर्म, राष्ट्रबाण: पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत 7 सितंबर से हो रही है, और इस बार यह अवधि बेहद खास होने वाली है। इस दिन साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भी पड़ेगा, जो ज्योतिषियों के मुताबिक एक दुर्लभ और शक्तिशाली संयोग बनाएगा। हिंदू मान्यताओं में पितृ पक्ष वह पवित्र समय है, जब लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं, तर्पण करते हैं, और उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा करते हैं। चंद्र ग्रहण के साथ इसकी शुरुआत इसे और भी प्रभावशाली बनाती है। ज्योतिषियों का कहना है कि इस दिन पितरों की पूजा, दान, और मंत्र जाप का फल कई गुना बढ़ जाता है।
क्यों खास है यह संयोग?
पितृ पक्ष और चंद्र ग्रहण का एक साथ होना सौ साल में एक बार होने वाला दुर्लभ योग है। ज्योतिषाचार्य पं. रमेश शर्मा बताते हैं, “चंद्र ग्रहण की आध्यात्मिक ऊर्जा और पितृ पक्ष का महत्व मिलकर इस दिन को विशेष बनाते हैं। इस समय की गई पूजा और दान का प्रभाव सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक होता है।” पितृ पक्ष में पूर्वजों को याद करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और परिवार को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस बार यह संयोग पूर्णिमा तिथि पर होने से और भी शुभ माना जा रहा है।
चंद्र ग्रहण का समय
7 सितंबर 2025 को होने वाला चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जिसे ‘ब्लड मून’ भी कहा जा रहा है। यह भारत में दिखाई देगा, जिसके कारण इसका सूतक काल भी मान्य होगा। ग्रहण रात 9:57 बजे शुरू होगा और मध्यरात्रि 1:26 बजे समाप्त होगा। इसका चरम समय रात 11:42 बजे होगा। इस दौरान धार्मिक कार्यों में सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, लेकिन पितरों की पूजा और मंत्र जाप को विशेष रूप से शुभ माना गया है।
पितृ पक्ष में करें ये जरूरी कार्य
इस खास दिन पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए कुछ खास अनुष्ठान किए जा सकते हैं:
- तर्पण: एक लोटे में जल लें, उसमें काले तिल डालें, और पितरों का नाम लेकर तर्पण करें। अगर संभव हो, तो गंगा, यमुना, या नर्मदा जैसी पवित्र नदी के किनारे यह कार्य करें।
- दिया जलाएँ: ग्रहण के समय घर की दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाएँ। इसके सामने कुछ देर शांत बैठकर पितरों को याद करें।
- मंत्र जाप: ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ या ‘गायत्री मंत्र’ का जाप करें। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और पितरों की आत्मा को शांति देता है।
- दान-पुण्य: पितरों के नाम पर गरीबों को भोजन, कपड़े, या धन दान करें। गाय, कुत्ते, और पक्षियों को खाना खिलाना भी पुण्यकारी माना जाता है।
ग्रहण के समय बरतें ये सावधानियाँ
ज्योतिषियों के अनुसार, चंद्र ग्रहण के दौरान खाना खाने और सोने से बचना चाहिए। इस समय भगवान का ध्यान, भगवद् गीता, रामचरितमानस, या विष्णु सहस्रनाम जैसे पवित्र ग्रंथों का पाठ करना शुभ होता है। गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। सूतक काल शुरू होने से पहले घर में खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालने चाहिए।
पितृ दोष से मुक्ति का मौका
यह संयोग पितृ दोष और कालसर्प योग जैसी ज्योतिषीय समस्याओं से मुक्ति का भी शुभ अवसर है। दिल्ली के ज्योतिषी आचार्य नितिन शर्मा कहते हैं, “इस दिन सच्चे मन से पितरों की पूजा और तर्पण करने से पितृ दोष का प्रभाव कम हो सकता है, और परिवार में सुख-शांति बढ़ती है।”
क्यों है यह समय खास?
पितृ पक्ष में पितर धरती पर अपने वंशजों के पास आते हैं और आशीर्वाद देते हैं। चंद्र ग्रहण की ऊर्जा इस समय को और शक्तिशाली बनाती है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस दिन किए गए कार्य न केवल पितरों को शांति देते हैं, बल्कि परिवार में समृद्धि और खुशहाली भी लाते हैं। यह अवसर 7 सितंबर को शुरू होकर 21 सितंबर तक चलेगा, जिसमें हर दिन अलग-अलग तिथियों पर श्राद्ध किए जाएँगे।
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