स्वतंत्रता दिवस पर PM मोदी के लाल किले से RSS प्रशंसा से बवाल, विपक्ष ने साधा निशाना

Rahul Maurya

नई दिल्ली, राष्ट्रबाण: 79वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तारीफ ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। PM ने RSS को “दुनिया का सबसे बड़ा NGO” बताते हुए इसके 100 साल के योगदान को “गौरवशाली” करार दिया। विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, AIMIM, और माकपा ने इसे संविधान और धर्मनिरपेक्षता की भावना के खिलाफ बताकर तीखी आलोचना की। वहीं, BJP ने इसका बचाव करते हुए जवाहरलाल नेहरू का हवाला दिया।

PM मोदी ने क्यों की RSS की तारीफ?

लाल किले से अपने 103 मिनट के भाषण में PM मोदी ने कहा, “100 साल पहले RSS की स्थापना हुई थी। इसके स्वयंसेवक व्यक्तित्व निर्माण और राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित हैं। यह देश के लिए गर्व की बात है।” उन्होंने RSS को राष्ट्र सेवा में समर्पित संगठन बताया, जो इस साल अपनी स्थापना के 100 साल पूरे कर रहा है। यह पहली बार है जब PM मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में RSS का इतना खुलकर ज़िक्र किया।

विपक्ष का तीखा हमला

कांग्रेस ने PM के बयान को “संवैधानिक और धर्मनिरपेक्ष भावना का उल्लंघन” करार दिया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने X पर लिखा, “लाल किले से RSS की तारीफ करना स्वतंत्रता संग्राम का अपमान है। यह PM का अपने 75वें जन्मदिन से पहले संघ को खुश करने का हताश प्रयास है।” उन्होंने भाषण को “बासी और पाखंडी” बताया, जिसमें आर्थिक संकट और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों का ज़िक्र नहीं था।

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “RSS ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा नहीं लिया और गांधीजी से ज़्यादा नफरत की। लाल किले से उनकी तारीफ करना स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है।” माकपा महासचिव एमए बेबी ने RSS के इतिहास पर सवाल उठाते हुए कहा कि गांधीजी की हत्या के बाद इस पर प्रतिबंध लगा था।

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कटाक्ष करते हुए कहा, “RSS को अपने 100 साल पूरे होने पर अंग्रेजों को धन्यवाद देना चाहिए, क्योंकि कुछ संगठन देश को धार्मिक आधार पर बाँटने के लिए बनाए गए थे।”

नेहरू ने भी की थी तारीफ

BJP ने विपक्ष की आलोचना को खारिज करते हुए RSS का बचाव किया। BJP के IT प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, “1963 में जवाहरलाल नेहरू ने RSS को गणतंत्र दिवस परेड में बुलाया था और इसे देशभक्तों का संगठन कहा था। RSS की विचारधारा आज भारत के विमर्श को आकार दे रही है।” BJP प्रवक्ताओं ने RSS के सामाजिक कार्यों, जैसे आपदा राहत और चरित्र निर्माण, को राष्ट्रीय गौरव बताया।

RSS का इतिहास और विवाद

1925 में स्थापित RSS को BJP का वैचारिक आधार माना जाता है। PM मोदी स्वयं RSS के प्रचारक रह चुके हैं। विपक्ष का दावा है कि RSS ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा नहीं लिया और सविनय अवज्ञा आंदोलन व भारत छोड़ो आंदोलन से दूर रहा। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा, “RSS का इतिहास औपनिवेशिक शासन से लड़ने का नहीं, बल्कि नफरत और विभाजन फैलाने का है।”

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