बालाघाट, राष्ट्रबाण। लालबर्रा विकासखंड अंतर्गत शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, कंजई में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ स्कूल प्राचार्य द्वारा एक छात्रा को केवल इस वजह से कक्षा में बैठने से मना कर दिया गया क्योंकि उसके भाई की डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) अभी तक बैंक में नहीं हो पाई है। छात्रा को न केवल कक्षा से बाहर किया गया बल्कि खुलेआम डांटते हुए विद्यालय न आने की धमकी भी दी गई।
छात्रा भयभीत, स्कूल जाना छोड़ा
ग्रामीण रमुला परते ने जानकारी दी कि उनकी पुत्री कक्षा नवमी की छात्रा है और पूर्व में उसका भाई भी इसी स्कूल में पढ़ता था। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण भाई अब नागपुर में काम करने गया है। डीबीटी के लिए सभी जरूरी दस्तावेज स्कूल और बैंक में जमा कर दिए गए हैं, लेकिन प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो सकी। बावजूद इसके, प्राचार्य ने छात्रा को अपमानित करते हुए कहा, “जब तक तुम्हारा भाई डीबीटी नहीं करवा देता, तब तक तुम स्कूल मत आना।” इस अपमान और डर की वजह से छात्रा ने स्कूल जाना छोड़ दिया है, जिससे उसकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
प्राचार्य का व्यवहार बना विवाद का कारण
परिजनों और ग्रामीणों का कहना है कि यदि कोई जानकारी या समस्या थी, तो प्राचार्य को सीधे पालक से बात करनी चाहिए थी, न कि मासूम बच्ची को सबके सामने डांटना और धमकाना चाहिए था। बच्ची को अपमानित करना न केवल शैक्षणिक नियमों के विरुद्ध है, बल्कि यह बाल अधिकारों का भी उल्लंघन है। प्राचार्य को ऐसे अमानवीय कृत के लिए दण्डित किया जाना चाहिए।
वार्ड पंच और ग्रामीणों ने जताया विरोध
ग्राम पंचायत कंजई के वार्ड क्रमांक 07 के पंच फिरोज खान सहित अन्य ग्रामीणों और पालकों ने प्राचार्य के इस व्यवहार का विरोध करते हुए कहा कि “एक छात्रा को उसके भाई की डीबीटी न होने पर स्कूल से दूर करना अमानवीय कृत्य है। प्राचार्य को चाहिए था कि वे पालक को बुलाकर या फोन पर जानकारी देते, न कि छात्रा को अपमानित करते।”
जिला शिक्षा अधिकारी से की गई कार्यवाही की मांग
ग्रामीणों और अभिभावकों ने जिला शिक्षा अधिकारी बालाघाट से मामले की निष्पक्ष जांच कर संबंधित प्राचार्य पर कड़ी कार्यवाही की मांग की है ताकि भविष्य में किसी अन्य विद्यार्थी के साथ इस प्रकार का व्यवहार न हो।
प्राचार्य ने मानी बात, लेकिन कहा – “उद्देश्य बच्ची को रोकना नहीं था”
इस मामले में जब प्राचार्य मुकेश नागरे से बात की गई तो उन्होंने स्वीकारा कि छात्रा से डीबीटी को लेकर कुछ कहा गया था। उन्होंने कहा “इनका एक भाई है निकेश परते, उसके खाते में छात्रवृत्ति के पैसे आ गए हैं लेकिन खाता बंद है। हम चाहते हैं कि डीबीटी शीघ्र हो जाए क्योंकि छात्रवृत्ति की राशि पेंडिंग है और हम पर भी दबाव होता है। इसी कारण छात्रा को ऐसा कहा गया। थोड़ा बहुत तो बोलना पड़ता है, पर मेरा उद्देश्य यह नहीं था कि वह स्कूल न आए।” उन्होंने यह भी कहा कि यह सरकारी पैसा है, इसे निकालना आवश्यक है, इसलिए उन्होंने जल्द कार्रवाई कराने के लिए केवल समझाइश दी थी।
बीआरसी ने प्राचार्य के रवैए को बताया अनुचित
वहीं इस मामले में बीआरसी श्रीराम तुरकर ने स्पष्ट कहा कि “डीबीटी न होने से छात्रवृत्ति की प्रक्रिया अटक जाती है, यह सही है, लेकिन इस बात को लेकर किसी छात्रा को स्कूल आने से मना करना गलत है। पालक से संपर्क कर जानकारी दी जानी चाहिए थी। यह तरीका बिल्कुल भी उचित नहीं है।” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि “आप बच्ची को स्कूल भेजिए, मैं इस मामले में बीईओ साहब को अवगत कराऊंगा और प्राचार्य से चर्चा की जाएगी।”
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