नई दिल्ली, राष्ट्रबाण: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की और अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई अपनी हालिया मुलाकात का ब्योरा दिया। इस बातचीत में PM मोदी ने यूक्रेन युद्ध को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने साफ किया कि भारत हमेशा संवाद और कूटनीति के जरिए वैश्विक शांति और स्थिरता का समर्थन करता है और इस दिशा में हर कोशिश का साथ देगा। यह फोन कॉल ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की वॉशिंगटन में होने वाली मुलाकात से पहले हुई, जिसने इसे और अहम बना दिया।
अलास्का में ट्रंप-पुतिन मुलाकात
पुतिन ने 15 अगस्त 2025 को अलास्का में ट्रंप से मुलाकात की थी, जिसमें यूक्रेन युद्ध को खत्म करने पर विचार-विमर्श हुआ। इस मुलाकात को दोनों नेताओं ने सकारात्मक बताया, लेकिन कोई ठोस सीजफायर समझौता नहीं हो सका। पुतिन ने PM मोदी को इस चर्चा की पूरी जानकारी दी, जिसमें दोनों पक्षों ने खुले तौर पर अपनी बात रखी। मोदी ने भारत का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि फरवरी 2022 से चल रहा यूक्रेन युद्ध केवल बातचीत और कूटनीति से ही खत्म हो सकता है। भारत ने अलास्का समिट को शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना और इसका स्वागत किया।
भारत-रूस की दोस्ती को नया आयाम
इस फोन कॉल में दोनों नेताओं ने भारत और रूस के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने पर चर्चा की। पुतिन ने भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर बधाई दी, जिसके जवाब में मोदी ने दोनों देशों के ऐतिहासिक रिश्तों की तारीफ की। दोनों ने भविष्य में नियमित संपर्क बनाए रखने पर सहमति जताई। यह बातचीत भारत की वैश्विक कूटनीति में बढ़ती भूमिका को दर्शाती है, क्योंकि भारत रूस और यूक्रेन दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाए हुए है।
यूक्रेन युद्ध और ट्रंप का दबाव
अलास्का मुलाकात के बाद अब ट्रंप 19 अगस्त 2025 को वॉशिंगटन में जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं से मिलने वाले हैं। ट्रंप ने जेलेंस्की से स्पष्ट कहा है कि या तो वह रूस की शांति शर्तों को स्वीकार करें, जिसमें क्रीमिया और NATO सदस्यता से पीछे हटना शामिल है, या युद्ध की और भारी कीमत चुकाएँ। इस मुलाकात में जर्मनी के फ्रेडरिक मर्ज और फ्रांस के इमैनुएल मैक्रों भी शामिल होंगे। भारत ने इस बीच अपनी तटस्थ लेकिन सक्रिय भूमिका बनाए रखी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि शांति की दिशा में उठाया गया हर कदम स्वागत योग्य है, और भारत इसके लिए हरसंभव सहयोग देगा।
ट्रंप के टैरिफ का मुद्दा
बातचीत में वैश्विक व्यापार का मसला भी उठा, खासकर ट्रंप के भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी। ट्रंप का कहना है कि भारत का रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना यूक्रेन युद्ध को ‘फंडिंग’ दे रहा है। भारत ने इसका कड़ा जवाब दिया कि 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा जरूरतों के लिए सस्ता तेल जरूरी है, और अमीर पश्चिमी देशों की तरह भारत के पास महंगा तेल खरीदने की सुविधा नहीं है। भारत ने इस टैरिफ को ‘अनुचित और अतार्किक’ करार दिया।
भारत की शांतिदूत छवि
हाल ही में PM मोदी ने जेलेंस्की से भी बात की थी, जिसमें उन्होंने स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं का आदान-प्रदान किया और यूक्रेन में शांति की कामना की। भारत ने रूस और यूक्रेन दोनों के साथ दोस्ताना रुख बनाए रखा है, जिससे वह वैश्विक मंच पर एक भरोसेमंद मध्यस्थ के रूप में उभरा है। यह भारत की कूटनीतिक ताकत को दर्शाता है, जो वैश्विक शांति में योगदान देने के लिए तैयार है।
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