RBI ने रेपो रेट 5.5% पर रखा स्थिर EMI में राहत नहीं, GDP ग्रोथ 6.5%

Rahul Maurya

    रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट को 5.5% पर अपरिवर्तित रखा। लगातार तीन बार कटौती के बाद यह पहला मौका है जब रेपो रेट स्थिर रहा, जिसका मतलब है कि लोन की EMI में कोई कमी नहीं होगी। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने नीतिगत रुख को ‘तटस्थ’ बनाए रखा और FY26 के लिए CPI मुद्रास्फीति 3.1% रहने का अनुमान जताया।

    आर्थिक अनुमान और चुनौतियाँ

    RBI ने चालू वित्त वर्ष (FY25) के लिए वास्तविक GDP ग्रोथ 6.5% और अगले वर्ष (FY26) के लिए 6.6% रहने का अनुमान लगाया। तिमाही अनुमान में Q1 के लिए 6.5%, Q2 के लिए 6.7%, Q3 के लिए 6.6%, और Q4 के लिए 6.3% ग्रोथ की उम्मीद है। गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि कोर मुद्रास्फीति 4% के आसपास स्थिर है, लेकिन ग्रामीण उपभोग में अस्थिरता है। FY26 के लिए खुदरा महंगाई 3.1% और FY27 के लिए 4.9% अनुमानित है। भू-राजनीतिक तनाव कम हुए हैं, लेकिन टैरिफ से वैश्विक व्यापार पर दबाव बना हुआ है। मर्चेंडाइज व्यापार घाटा पहली तिमाही में बढ़ा, जो अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती है।

    बैंकिंग सेक्टर की स्थिति

    RBI के अनुसार, शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों का पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) 17% से अधिक और नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) 3.5% है। लिक्विडिटी कवरेज अनुपात 132% और ग्रॉस NPA 2.2% है, जो बैंकिंग प्रणाली की मजबूती दर्शाता है। क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात 78.9% रहा। हालांकि, बैंक क्रेडिट ग्रोथ पिछले साल की तुलना में सुस्त रही। फिर भी, अर्थव्यवस्था में वित्तीय संसाधनों का प्रवाह FY24 के 33.9 लाख करोड़ से बढ़कर FY25 में 34.8 लाख करोड़ रुपये हो गया। मल्होत्रा ने कहा कि यह रुझान FY26 में भी जारी रहेगा। बैंकों की लाभप्रदता में सुधार हुआ है, और कंपनियाँ फंड जुटाने के लिए बॉन्ड जैसे बाजार आधारित साधनों पर निर्भर हो रही हैं।

    लिक्विडिटी और नीतिगत उपाय

    पिछली MPC बैठक के बाद सिस्टम लिक्विडिटी सरप्लस में रही, औसतन 3 लाख करोड़ रुपये प्रतिदिन। जून में CRR में 100 आधार अंकों की कटौती से लिक्विडिटी में और सुधार हुआ। मल्होत्रा ने कहा कि RBI लिक्विडिटी प्रबंधन में लचीलापन बनाए रखेगा और अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करेगा। मनी मार्केट में नीतिगत दरों का प्रसार तेजी से हुआ है। सोशल मीडिया पर लोग EMI राहत न मिलने पर निराशा जता रहे हैं, लेकिन कुछ विशेषज्ञ स्थिर रेपो रेट को महंगाई नियंत्रण के लिए सही मान रहे हैं।

    RBI ने भविष्य में लिक्विडिटी प्रबंधन ढांचे पर परामर्श पत्र जारी करने की योजना बनाई है। मल्होत्रा ने जोर दिया कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच RBI ग्रोथ और महंगाई के बीच संतुलन बनाए रखेगा। स्थिर रेपो रेट से बैंकों की उधार दरें अपरिवर्तित रहेंगी, जिसका असर होम और ऑटो लोन लेने वालों पर पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि FY26 में महंगाई के 3.1% तक नीचे आने से भविष्य में दर कटौती की गुंजाइश बन सकती है।

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