राष्ट्रबाण: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 25 फीसदी टैरिफ ने भारतीय कंपनियों पर असर डालना शुरू कर दिया है। यह टैरिफ 8 अगस्त से लागू हो गया है, जिसके चलते भारत से अमेरिका जाने वाला सामान अब 25 फीसदी महंगा हो जाएगा। इसके अलावा, 27 अगस्त से एक और 25 फीसदी टैरिफ लागू होगा। इस फैसले का असर देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज़ पर भी पड़ रहा है।
कंपनी ने चेतावनी दी है कि भू-राजनीतिक तनाव और टैरिफ से उसके कारोबार और मांग-आपूर्ति संतुलन को नुकसान हो सकता है। रिलायंस के शेयरों में गुरुवार को 1 फीसदी की गिरावट देखी गई, जो बाद में 0.2 फीसदी की कमी के साथ बंद हुए। शुक्रवार को भी शेयर 1.17 फीसदी गिरकर 1,373.20 रुपये पर ट्रेड कर रहे थे। पिछले एक महीने में रिलायंस के शेयर 11 फीसदी तक टूट चुके हैं।
रिलायंस की रिफाइनरी और रूसी तेल पर निर्भरता
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ गुजरात के जामनगर में दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी चलाती है, जो पेट्रोल, डीजल और जेट ईंधन जैसे उत्पाद बनाती है। यह रिफाइनरी घरेलू और निर्यात बाजारों की जरूरतें पूरी करती है। रिलायंस ने इस साल यूरोप को हर महीने 2.83 मिलियन बैरल डीजल और 1.5 मिलियन बैरल जेट ईंधन भेजा है। कंपनी का तेल-से-रसायन (O2C) कारोबार उसकी कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा है।
ट्रंप ने भारत की रूसी तेल खरीद पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर मुनाफा कमा रहा है, जो यूक्रेन संकट के बीच गलत है। रूस से 37 फीसदी तेल आयात करने वाली रिलायंस पर अतिरिक्त पेनाल्टी का खतरा मंडरा रहा है।
कंपनी और अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर
रिलायंस ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि वैश्विक आर्थिक विकास और भू-राजनीतिक तनाव में कमी से तेल की मांग बढ़ सकती है। हालांकि, ट्रंप के टैरिफ और रूसी तेल पर पेनाल्टी से रिलायंस की लागत बढ़ सकती है, जिससे मुनाफा कम हो सकता है। भारतीय निर्यातकों को भी नुकसान होगा, क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
विशेषज्ञों का कहना है कि टैरिफ से भारत की जीडीपी ग्रोथ 0.2-0.5 फीसदी तक कम हो सकती है। रिलायंस जैसी कंपनियों को अब यूरोप और एशिया जैसे वैकल्पिक बाजार तलाशने होंगे। सरकार अगस्त के अंत में अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता शुरू करने की तैयारी में है।
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