नई दिल्ली, राष्ट्रबाण। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को सदन में अपना दावा दोहराया कि आरएसएस की साख बेदाग है। राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान समाजवादी पार्टी के सदस्य लाल जी सुमन ने एनटीए चेयरपर्सन के बारे में कहा कि इनके लिए किसी व्यक्ति के नापने का कोई मानक नहीं है, सबसे पहला मानदंड ये है कि वो आरएसएस का है कि नहीं है। इस पर सभापति ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि मैंने सदन के पटल पर ऐसा कहा है, हम इसे राजनीतिक रूप देने के लिए नहीं जा सकते। कृपया अपना पाइंटेड पूरक प्रश्न पूछें।
खड़गे को जवाब
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से उठाई गई आपत्तियों पर सभापति ने कहा कि विपक्ष के नेता ने एक तरह से सभापति को संकेत दिया है कि मैंने सदस्य पर आपत्ति जताकर नियमों का उल्लंघन किया है। इसलिए मैं इसका जवाब देने के लिए बाध्य हूं। माननीय विपक्ष के नेता कहते हैं कि नियमों का उल्लंघन होने पर मैं हस्तक्षेप कर सकता हूं। अगर कोई सदस्य नियमों के दायरे में बोल रहा है तो मुझे हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, मैं इससे सहमत हूं। लेकिन यहां सदस्य नियमों का उल्लंघन नहीं कर रहे थे, वे भारत के संविधान को रौंद रहे थे। इस कारण से, मैंने जो संगठन कहा है, वह पूरी तरह से हकदार है। आरएसएस एक ऐसा संगठन है जो उच्चतम स्तर का वैश्विक थिंक टैंक है। मैं माननीय सदस्य को किसी ऐसे संगठन का नाम लेने की अनुमति नहीं दूंगा जो राष्ट्रीय सेवा कर रहा हो।
आरएसएस के लोग राष्ट्र सेवा के लिए प्रतिबद्ध
जगदीप धनखड़ ने कहा कि संविधान के भाग 3 के तहत इस संगठन आरएसएस को राष्ट्रीय विकास के लिए योगदान करने का पूरा अधिकार है। मैं यह नियम बनाता हूं कि आरएसएस एक ऐसा संगठन है, जिसे इस राष्ट्र की विकास यात्रा में भाग लेने का पूरा संवैधानिक अधिकार है। इस संगठन की साख निर्विवाद है। इसमें ऐसे लोग शामिल हैं, जो नि:स्वार्थ भाव से राष्ट्र की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस संगठन के किसी सदस्य द्वारा राष्ट्र की विकास यात्रा में भाग न लेने पर आपत्ति जताना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि नियमों से परे भी है।
विभाजनकारी गतिविधियों में शामिल होना घातक
राज्यसभा सभापति ने कहा कि मुझे लगता है कि लोग विभाजनकारी गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। यह एक घातक योजना है, देश के विकास को रोकने के लिए एक भयावह तंत्र है। मैंने कई मौकों पर इस बात पर विचार किया है कि देश के भीतर और बाहर हमारे संस्थानों, संवैधानिक संस्थाओं को कलंकित करने और नीचा दिखाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिनकी हम सभी को निंदा करनी चाहिए।