सिवनी, राष्ट्रबाण। सनातन धर्म में भगवान शिव को तीनो लोक में सर्वोच्य, सर्वशक्तिमान माना जाता है, भोलेनाथ सर्वत्र है उनकी महीमा अलोकिक है। देवाधि देव महादेव कण कण में विद्वमान है। भगवान शिव की पूजा हिंदू धर्म में सर्वोपारी है। सावन माह को सबसे पवित्र माह माना जाता है इस माह में भगवान शिव के शिवलिंग की पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ती होती है। सिवनी जिले के दिघोरी में स्थित श्री गुरू रत्नेश्वर धाम मंदिर (Ratneshwardham Temple) सावन माह मे शिव भक्त पहुंच रहे है। सनातन धर्म में स्फटिक शिवलिंग (SPHATIK SHIVLING) की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। स्फटिक शिवलिंग काफी ज्यादा दुर्लभ होते हैं, इसके दर्शन मात्र से भक्तो की सभी मनोकमना पूरी होती है। माना जाता है कि स्फटीक शिवलिंग में माता लक्ष्मी का वास होता है, जिससे दर्शन से धन की प्राप्ती होती है।
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शंकाराचार्य श्री स्वरूपानंद जी महाराज ने की स्थापना
श्री गुरू रत्नेश्वर धाम दिघोरी (SHRI GURU RATNESHWAR DHAM DIGHORI. SEONI. MP) में दुनिया का एक मात्र स्फटिक का शिवलिंग (SPHATIK SHIVLING) स्थापित है। इसकी स्थापना द्वि पीठाधीश्वर शंकाराचार्य श्री स्वरूपानंद जी महाराज (SHANKARACHARYA SWAMI SWAROOPANAND JI MAHARAJ) द्वारा की गई है। स्फटिक शिवलिंग की स्थापना के दौरान दिनांक 15 से 22 फरवरी 2002 में एक सप्ताह धार्मिक मेला का आयोजन किया गया था और स्फटिंग के चमत्कारिक स्फटिक शिवलिंग की स्थापना की गई। इस दौरान देश की समस्त पीठों के शंकराचार्य के अलावा देश में प्रचलित सभी धर्मो के महान धर्माचार्य दिघोरी पधारे थे।
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वर्षो बर्फ में दबे रहने केपश्चात बनता है ये स्फटिक शिवलिंग
स्फटिक शिवलिंग के बारे में बताया जाता है की यह शिवलिंग बर्फ की चट्टानों के बीच कई वर्षों तक पत्थर के दबे रहने से ऐसा निर्मित होता है। यह शिवलिंग कश्मीर से यहां लगाया गया था। इसके पूजन का भारतीय धर्म ग्रन्थों में बहुत महत्व बताया गया है। मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी ग्राम में स्थित स्फटिक शिवलिंग दुनिया का एक मात्र ऐसा शिवलिंग है।
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मंदिर में कहां होंगे किसके दर्शन
ग्राम दिघोरी जिला सिवनी में शंकराचार्य स्वरूपानंद जी महाराज का जन्म जिस स्थान पर हुआ था, वही पर स्फटिंग के मणि शिवलिंग का वैदिक मंत्रोच्चार के बाद चारों पीठों एवं अन्य धर्माचार्य की उपस्थिति में स्थापित किया गया है। यह मंदिर सिवनी से जबलपुर मार्ग पर ग्राम राहीवाडा बसा है। इस ग्राम के पश्चिम दिशा में एक बडा गेट बनाया गया है। गेट पर भगवान श्री शिवजी का परिवार विराजित है। मुख्य मार्ग से 8 कि.मी. की दूरी पर पश्चिम में ग्राम दिघोरी में श्री गुरू रत्नेश्वर धाम का विशाल मंदिर दक्षिण शैली में बना है। मंदिर में सीढी चढने के बाद एक हाल में श्री नन्दी विराजित है। इसके बाद एक गर्भगृह में स्फटिक शिवलिंग स्थापित है। मंदिर में दर्शन और पूजन से समस्त पापों का नाश होता है। यहाँ प्रतिदिन धर्मावलम्बी आते रहते हैं। मकर संक्राति एवं महाशिवरात्रि को मेला भरता है। मंदिर के पास से पवित्र वैनगंगा नदी बहती है।