सिवनी, राष्ट्रबाण। वैसे तो पुलिस विभाग का आम आदमी के प्रति रवैया सकारात्मक एवं शिकायतकर्ता से पुलिस का व्यवहार एक मित्र की तरह होना चाहिए। लेकिन इस देश का दुर्भाग्य ही कहा जाये की पुलिस आम जनता के प्रति सख्त रवैया अपनाते हुए खाकी की धौंस दिखा कर पीड़ित को शिकायत वापिस लेने दबाव बना कर उसे प्रताड़ित करती है।

मामला सिवनी कोतवाली का है जहाँ एक आदिवासी युवक को पुलिसकर्मी द्वारा डरा धमका कर शिकायत वापिस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। युवक के शिकायत वापिस लेने से इंकार करने पर मोबाईल वापिस न करने की धमकी दी जा रही है। शिकायतकर्ता हिमांशु उईके ने बताया की उसका मोबाईल गुम होने की शिकायत दिनांक 23 दिसंबर 2024 को उसके द्वारा सिवनी कोतवाली में की गई थी। महीनो बीत जाने के बाद जब मोबाईल गुमने ने शिकायत पर जब पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई तो मजबूरन उसे सीएम हेल्पलाइन में इसकी शिकायत कर कार्यवाही की गुहार लगाई। जिसके पश्चात् पुलिस ने शिकायतकर्ता को फोन लगा कर शिकायत बंद करने को कहा। पुलिस द्वारा मोबाईल मिल जाने की बात स्वीकार की गई लेकिन पहले शिकायत वापिस लेने की शर्त रखते हुए मोबाईल देने को कहा गया। ऐसा न करने पर शिकायतकर्ता को उसकी शिकायत पेंडिंग में डालने और मोबाईल वापिस नहीं करने की धमकी दी गई।

हालांकि शिकायतकर्ता ने पुलिस की शर्तो को न मानते हुए पहले मोबाईल देने को कहा और मोबाईल मिलने की दशा में ही शिकायत वापिस लेने की बात कही। वैसे नियमानुसार शिकायत के निराकरण के बाद शिकायतकर्ता अपनी शिकायत सीएम हेल्पलाइन में बंद करा सकता है लेकिन पुलिस द्वारा जिस तरह से धमकी देकर शिकायत वापिस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है उससे पुलिस कार्यप्रणाली को सवालों के कठघरे में खड़ा करता है।
थाने में बुलाया और देने लगे दूसरा मोबाईल
सीएम हेल्पलाइन से भले ही लोगो को न्याय न मिले लेकिन इस पर हुई शिकायत विभाग के लिए सिरदर्द बन जाती है। जिसे कटवाने के लिए विभाग को तरह तरह के हथकंडे अपनाने पड़ते है। कभी झूठा निराकरण तो कभी शिकायतकर्ता को झूठी दिलासा दिलाते हुए विभागीय अधिकारी किसी भी तरह शिकायत बंद कराने का प्रयास करते है, कुछ इसी तरह हिमांशु उईके के साथ भी हुआ। कोतवाली सिवनी से अलग-अलग पुलिसकर्मी द्वारा हिमांशु को मोबाईल मिल जाने की बात करते हुए शिकायत बंद करने को कहा गया। लेकिन हिमांशु ने साफ तौर पर पहले मोबाईल देने के बाद शिकायत बंद करने की बात कही तो पुलिस ने थक हार कर हिमांशु को थाना बुलाकर मोबाईल ले जाने को कहा। हिमांशु ने बताया की वह कल दिनांक 27 जून को थाना कोतवाली पहुंचा जहां पुलिस द्वारा दूसरे व्यक्ति का फ़ोन देते हुए शिकायत वापिस लेने को मजबूर किया जाने लगा। हिमांशु ने फोन लेने से इंकार करते हुए शिकायत वापिस लेने से मना किया और इसकी शिकायत भी सीएम हेल्पलाइन में की।
आधुनिक संसाधनों से लेस पुलिस इतनी असहाय क्यों?
वैसे तो पुलिस अब आधुनिक संसाधनों से लेस है साइबर में आधुनिक सॉफ्टवेयर से वह चोरी के मोबाईल या कोई भी इलेक्ट्रानिक वास्तु को ट्रेस कर चोरी के मामलो को क्रेक कर अपनी उपलब्धि बया करती है। लेकिन मोबाईल चोरी या गुमने के मामले में पुलिस कोई खासी रूचि नहीं दिखाती जिसके चलते पीड़ित परेशान होता है तो चोर अपनी किस्मत और पुलिस की लचर कार्यशैली पर इतराता है। पुलिस की इसी लचर कार्यप्रणाली के चलते सैकड़ो मोबाईल चोरी और गुमने की शिकायत पुलिस विभाग की शिकायत शाखा की शोभा बढ़ा रही है। किंतु यही अनसुलझे केस पुलिस विभाग की खाकी पर दाग स्वारुप नजर आ रहे है। कुछ कर्तव्यनिष्ट पुलिस अफसरों के कारण मोबाईल चोरी और गुमे मोबाईल ढूंढ कर उन व्यक्तियों को उनके मोबाईल वापिस किये जाते है जिससे उनके चेहरे पर मुस्कान लौट आती है साथ ही आम जनता का पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ता है लेकिन कुछ पुलिसकर्मियों द्वारा पीड़ित को उल्टा परेशान किया जाता है जिससे पुलिस की निष्ठा और कर्तव्य के प्रति आम जनता का विश्वास टूटता है जो पुलिस विभाग के लिए ठीक नहीं है।