नई दिल्ली, राष्ट्रबाण: दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या और उनके हमलों से परेशान लोगों को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार, नगर निगम (एमसीडी), और न्यू दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) को सख्त निर्देश दिए हैं कि सभी आवारा कुत्तों को तुरंत उठाकर शेल्टर होम में भेजा जाए। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा कि बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा सर्वोपरि है, और रेबीज जैसे खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर कोई व्यक्ति, संगठन, या पशु प्रेमी कुत्तों को हटाने में बाधा डालेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी। बेंच ने अधिकारियों को आठ हफ्तों में 5,000-6,000 कुत्तों के लिए शेल्टर बनाने का आदेश दिया, जहां नसबंदी, टीकाकरण, और सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था होनी चाहिए। यह फैसला दिल्ली में हर साल 48,000 से ज्यादा कुत्तों के काटने की घटनाओं और रेबीज से होने वाली मौतों को देखते हुए आया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों उठाया यह कदम?
सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को ‘अत्यधिक गंभीर समस्या’ बताते हुए कहा कि छोटे बच्चों को बिना डर के सड़कों पर खेलने का अधिकार है। बेंच ने एबीसी (एनिमल बर्थ कंट्रोल) नियमों, 2023 का जिक्र करते हुए कहा कि नसबंदी के बाद कुत्तों को उसी इलाके में छोड़ने की नीति ‘बेतुका’ है, क्योंकि इससे समस्या जस की तस बनी रहती है। कोर्ट ने आदेश दिया कि कुत्तों को किसी भी हाल में वापस सड़कों पर नहीं छोड़ा जाए।
स्कूल, अस्पताल, और रिहायशी इलाकों से कुत्तों को प्राथमिकता से हटाया जाए। साथ ही, कुत्तों के काटने की शिकायत के लिए एक हेल्पलाइन शुरू करने का निर्देश दिया, जिस पर शिकायत आने के चार घंटे में कार्रवाई होनी चाहिए। अगर जरूरी हुआ, तो बल प्रयोग भी किया जा सकता है। बेंच ने कहा कि भावनाओं को बीच में नहीं लाया जाए, क्योंकि मानव जीवन पशुओं से ऊपर है।
पशु प्रेमियों का विरोध
कोर्ट का यह आदेश पशु अधिकार संगठनों और पशु प्रेमियों के लिए बड़ा झटका है। कार्यकर्ता गौरी मौलेखी जैसे लोग कह रहे हैं कि यह फैसला एबीसी नियमों का उल्लंघन है, जो कुत्तों को स्थानांतरित करने पर रोक लगाता है। उन्होंने कहा कि कुत्तों को शेल्टर में बंद करना अमानवीय है, और इससे मानव-पशु संघर्ष खत्म नहीं होगा। दूसरी ओर, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) और स्थानीय निवासियों ने फैसले का स्वागत किया है।
उनका कहना है कि आवारा कुत्ते बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा बन गए हैं, और रेबीज का डर लोगों को घरों में कैद कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की संख्या 5 लाख से ज्यादा है, और उनके लिए शेल्टर बनाना चुनौतीपूर्ण होगा। कोर्ट ने इसकी निगरानी के लिए एक कमेटी गठित की है, जिसका नेतृत्व इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व जज करेंगे।
शेल्टर और निगरानी की योजना
सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को आठ हफ्तों में प्रगति रिपोर्ट देने को कहा है। शेल्टर में कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण, और स्वास्थ्य जांच अनिवार्य होगी। कोर्ट ने कहा कि यह पहला कदम है, और दिल्ली को धीरे-धीरे आवारा कुत्तों से मुक्त बनाना होगा। पशु संगठन इस आदेश के खिलाफ अपील की तैयारी कर रहे हैं, जो मामले को और लंबा खींच सकता है।
सरकार को शेल्टर बनाने के लिए करोड़ों रुपये की जरूरत होगी, और सीसीटीवी से निगरानी सुनिश्चित करनी होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला रेबीज जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने में मददगार साबित होगा, लेकिन पशु कल्याण के साथ संतुलन बनाना जरूरी है।
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