स्कूल शिक्षा विभाग का सख्त कदम: जर्जर स्कूल भवनों में अघोषित छुट्टी, छात्रों की सुरक्षा को प्राथमिकता

Rashtrabaan

भोपाल, राष्ट्रबाण। राज्य में लगातार हो रही बारिश और स्कूल भवनों की जर्जर हालत को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने छात्रों की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम उठाया है। लोक शिक्षण संचालनालय ने प्रदेश के सभी 94 हजार सरकारी स्कूलों के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं, जिसमें कहा गया है कि ऐसे किसी भी कमरे में विद्यार्थियों को न बैठाया जाए, जहां सीलन, सीपेज या छत से प्लास्टर गिरने की आशंका हो।

5600 स्कूल अति जर्जर, 81 हजार में खराब हालात

लोक शिक्षण संचालनालय की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के 94 हजार शासकीय स्कूलों में से 5600 स्कूल अति जर्जर श्रेणी में हैं। जबकि 81 हजार स्कूलों में कक्षाओं की हालत खराब बताई गई है। अकेले राजधानी भोपाल की बात करें तो 836 स्कूलों में से 400 स्कूलों की कक्षाएं खस्ताहाल हैं, और 50 स्कूलों के भवन अति जर्जर की श्रेणी में हैं। इस स्थिति को देखते हुए इन स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई पर अघोषित छुट्टी जैसी स्थिति बन गई है। जिन स्कूलों के सभी कमरे उपयोग लायक नहीं हैं, वहां विद्यार्थियों को स्कूल नहीं बुलाया जा रहा है।

राजस्थान हादसे के बाद जागा प्रशासन

गौरतलब है कि हाल ही में राजस्थान के झालावाड़ में एक स्कूल भवन गिरने की घटना में कई बच्चे घायल हो गए थे। इस हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया और प्रशासन को स्कूल भवनों की सुरक्षा को लेकर गंभीर निर्णय लेने को मजबूर किया।

प्राचार्य और शिक्षक होंगे जिम्मेदार

स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि यदि इस निर्देश का पालन नहीं होता है और किसी प्रकार की दुर्घटना होती है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी प्राचार्य और जिला शिक्षा अधिकारी की होगी।

मरम्मत के लिए राशि जारी, शिक्षकों को निगरानी की जिम्मेदारी

विभाग ने स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए राशि भी आवंटित की है। प्रत्येक स्कूल प्राचार्य को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे आवश्यकतानुसार भवन की मरम्मत कराएं। इसके अलावा, शिक्षकों को भी स्कूल भवन की निगरानी करने का दायित्व सौंपा गया है ताकि समय रहते किसी भी खतरे को टाला जा सके। बारिश के मौसम में जर्जर स्कूल भवन किसी भी समय बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं, जिसे रोकने के लिए यह कदम अत्यंत आवश्यक था।

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