काठमांडू, राष्ट्रबाण: नेपाल में Gen-Z के उग्र प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया। अब सत्ता की कमान संभालने की रेस में चार नाम सामने आ चुके हैं, जिनमें पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की का नाम सबसे आगे है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की वर्चुअल बैठक में प्रदर्शनकारियों ने कार्की के नाम पर सहमति जताई है, लेकिन उनका रास्ता आसान नहीं। ओली की लोकेशन अभी भी रहस्य बनी हुई है।
सुशीला कार्की का नाम आगे
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, करीब चार घंटे की वर्चुअल मीटिंग में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया। एसोसिएशन ने कहा कि सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री बनाने पर सहमति बनी। अगर कार्की सहमत होती हैं, तो उन्हें पहले सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगदेल से मिलना होगा, फिर राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल से मंजूरी लेनी पड़ेगी। कार्की का नाम भ्रष्टाचार-विरोधी प्रदर्शनों से जुड़ गया है, जो उन्हें मजबूत दावेदार बनाता है।
अन्य दावेदार कौन?
प्रधानमंत्री पद की रेस में सुशीला के अलावा कुलमन घीसिंग, सागर ढकाल और हरका संपांग के नाम भी चर्चा में हैं। घीसिंग नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रमुख हैं, जबकि ढकाल एक प्रमुख व्यवसायी। संपांग सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती हैं। प्रदर्शनकारियों का फोकस भ्रष्टाचार मुक्त सरकार पर है, इसलिए इन नामों पर अंतिम फैसला जल्द हो सकता है।
सुशीला कार्की का बैकग्राउंड
सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को बीरटानगर में हुआ। उन्होंने राजनीति विज्ञान और कानून में उच्च शिक्षा हासिल की। 1972 में महेंद्र मोरंग कैंपस से BA, 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में MA, और 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से LLB किया। 1979 में बीरटानगर में वकालत शुरू की और 1985 में धरान में सहायक शिक्षक बनीं। 2007 में वरिष्ठ अधिवक्ता बनीं। 2010 में स्थायी न्यायाधीश और जुलाई 2016 से जून 2017 तक नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रहीं।
नेपाल का राजनीतिक संकट
सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुए Gen-Z प्रदर्शन भ्रष्टाचार और नेपोटिज्म के खिलाफ फैल गए। ओली के इस्तीफे के बाद देश अनिश्चितता से जूझ रहा है। राष्ट्रपति पौडेल नई सरकार बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर कार्की PM बनीं, तो ये नेपाल के इतिहास में एक बड़ा बदलाव होगा।
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