माप तौल विभाग गैर जिम्मेदार, बस लिफाफा लेने का है अधिकार : फ्यूल पंप पर पेट्रोल डीजल लेते वक्त हो रही मात्रा से धोखाधड़ी

Rashtrabaan

सिवनी, राष्ट्रबाण। जिला मुख्यालय से दिन प्रतिदिन फ्यूल पंप में गड़बड़ी की बात सामने आती है। किसी भी फ्यूल पंपों में पेट्रोल डीजल उपभोक्ताओं को सही मात्रा में सामान मिले, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी माप-तौल विभाग की है। फ्यूल पंपों में सही मात्रा में तेल दिया जा रहा है कि नहीं उसे देखना भी माप-तौल विभाग का काम है। सिवनी के पेट्रोल पंपों में उपभोक्ताओं को पूरे पैसे देने के बावजूद कम तेल मिल रहा है। अब सवाल यह उठता है कि माप-तौल विभाग क्या लिफाफा लेकर इसकी जांच कर रहा है। क्योंकि अक्सर देखने में आता है कि माप-तौल विभाग के द्वारा फ्यूल पंपों में नाम मात्र की कार्यवाही करके अपना पाला झाड़ लेते हैं। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि पंप संचालक उपभोक्ताओं के आंखों के सामने ही मात्रा (लीटर) का खेल रहे है, जिससे अच्छा खासा मुनाफा पैट्रोल पंप मालिक को होता है, इसका कुछ हिस्सा माप-तौल विभाग को दे दिया जाता हैं।

आम तौर पर लोग फ्यूल पंप पर पेट्रोल डीजल लेते समय मशीन में फ्यूल की मात्रा या राशि फीड कराते हैं। इसके बाद यह तसल्ली हो जाती है कि पूरा फ्यूल मिला। आप भी ऐसा सोचते हैं, तो आपको सावधान होने की जरूरत है। जिले के कई पेट्रोल पंपों में मशीन के साथ छेड़छाड़ करके आपको कम तेल दिया जा रहा है। राष्ट्रबाण के द्वारा ने इसकी पड़ताल की। जिले के कुछ फ्यूल पंपों से जब तेल बॉटल में लेकर मापा, तो पता चला कि प्रति लीटर 15 से 30 मिलीमीटर कम तेल दिया जा रहा है। हालांकि, तेल मापने के क्रम में तेल का कुछ अंश उड़ा भी होगा। इसके बावजूद इसकी माप इतना कम होना, सबकुछ साफ बयां करता है कि पेट्रोल पंपों में कितनी मात्रा में फ्यूल चोरी होता है।

सिवनी जिले के पेट्रोल पंपों में उपभोक्ताओं के साथ होने वाली लूट खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। लोगों को खुलेआम कम पेट्रोल डीजल देकर उनके साथ ठगी की जा रही है। अधिकतर पेट्रोल पंपों में डिजिटल मशीन लगाया गया है। लेकिन, अधिकतर पेट्रोल पंपों में मीटर लॉक करने के बावजूद ग्राहकों को चूना लगाया जा रहा है। मान लीजिए आप किसी पंप पर पेट्रोल लेने गए और दो लीटर पेट्रोल देने को कहा तो कर्मचारी फौरन दो का बटन दबाता है। लेकिन आप पूरी राशि अदा कर रहे हैं, इसके बावजूद आपको तेल पूरा नहीं मिल रहा है। इसकी जांच करेंगे, तो पता चलेगा कि प्रति लीटर 20 से 60 मिलीलीटर तेल की चपत आपको लग रही है।

ऐसा लगती है चपत

ग्राहकों को मीटर लॉक कराने के बावजूद चपत कई प्रकार से लगाया जा रहा है। मशीन में एक लीटर का आंकड़ा आते ही तेल देने वाला कर्मचारी नोजल निकाल लेता है। ऐसे में कुछ पेट्रोल पाइप में ही रह जाता है। इससे भी बड़ी आसानी से उपभोक्ता को चपत लग रही है, लेकिन उपभोक्ता को पता नहीं चल पाता। पेट्रोल पंप संचालक भी इस बात को मानते हैं कि पाइप में तेल रहता है, मगर इसकी मात्रा ना के बराबर होती है।

सुविधाएं भी नदारद

अधिकारियों की लापरवाही से जिले के पेट्रोल पंपों पर उपभोक्ताओं को वाजिब सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। ईंधन जांच व मुफ्त हवा की बात तो दूर, शुद्ध पीने का पानी व साफ शौचालय की सुविधा भी नहीं है। कई फ्यूल पंपों पर तो सर्विस स्टेशनों के नाम भी नहीं लिखे गए हैं। नियमानुसार पंपों पर सर्विस स्टेशनों के नाम तो लिखे ही जाने चाहिए, वहां पानी और टॉयलेट के अलावा हवा चेक की सुविधा भी होनी चाहिए। लेकिन दूर दराज की कौन कहे, नगर से लगे कुछ पेट्रोल पंपों पर भी यह सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, कुछ पेट्रोल पंपों पर हवा की मशीन लगाई तो गई है, लेकिन यह महज दिखावा है।

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