वाशिंगटन, राष्ट्रबाण: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को अलास्का में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। इस बैठक का मकसद यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए बातचीत की राह तलाशना था। पहले रूस से तेल खरीदने वाले देशों, जैसे भारत और चीन, पर भारी टैरिफ लगाने की बात कहने वाले ट्रंप ने बैठक के बाद नरम रुख दिखाया। उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसे टैरिफ की जरूरत नहीं है, लेकिन अगले कुछ हफ्तों में इस पर विचार हो सकता है।
अलास्का में हुई अहम बैठक
ट्रंप और पुतिन की मुलाकात अलास्का में हुई, जो 2018 के बाद दोनों नेताओं की पहली आमने-सामने की बातचीत थी। बैठक में यूक्रेन युद्ध पर चर्चा हुई, जिसमें ट्रंप ने युद्धविराम की दिशा में काम करने पर जोर दिया। ट्रंप ने इसे “सकारात्मक मुलाकात” बताया और कहा कि यह भविष्य में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के साथ दूसरी बैठक का आधार बन सकती है।
एक टीवी चैनल से बातचीत में ट्रंप ने कहा, “आज की बैठक काफी अच्छी रही। रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर टैरिफ लगाने की अभी जरूरत नहीं है। हो सकता है दो-तीन हफ्तों में इस पर सोचना पड़े, लेकिन फिलहाल कोई ज़रूरत नहीं।”
ट्रंप का बदला रुख
इससे पहले ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों को यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा देने का जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने भारत और अन्य देशों पर टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी, ताकि रूस की तेल बिक्री पर दबाव डाला जा सके। लेकिन अलास्का मुलाकात के बाद उनके बयान से लगता है कि वह अभी कड़े कदमों से पीछे हट रहे हैं। यह बदलाव वैश्विक कूटनीति में नया मोड़ ला सकता है।
भारत के लिए राहत
भारत, जो रूस से कच्चा तेल खरीदने वाले बड़े देशों में शामिल है, ने ट्रंप के टैरिफ को अनुचित बताया था। ट्रंप के ताज़ा बयान से भारत को फिलहाल राहत मिल सकती है। हालांकि, अगले कुछ हफ्तों में उनकी नीति पर नज़र रखना जरूरी होगा।
वैश्विक नज़रें बैठक पर
यह मुलाकात यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी देशों के रुख के बीच अहम मानी जा रही है। ट्रंप का कहना है कि वह युद्ध को जल्द खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं। हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को इस बैठक में शामिल नहीं किया गया, जिससे कुछ देशों में चिंता बढ़ी है। ज़ेलेंस्की ने कहा कि बिना यूक्रेन की सहमति के कोई समझौता मान्य नहीं होगा।
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