UP Election 2027: उत्तर प्रदेश की राजनीति में 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा), ने अभी से अपनी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है। कांग्रेस जहां अपने संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करने में जुटी है, वहीं अल्पसंख्यक वोटों को साधने के लिए भी बड़े कदम उठा रही है। हाल ही में माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी की गिरफ्तारी को लेकर कांग्रेस ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर तीखा हमला बोला है। इस मुद्दे को विपक्ष ने अल्पसंख्यकों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने का मौका माना है।
उमर अंसारी का मुद्दा बना हथियार
पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी के परिवार का राजनीतिक प्रभाव लंबे समय से रहा है। उनकी मृत्यु के बाद अब उनके बेटे उमर अंसारी की गिरफ्तारी ने सियासी माहौल को और गर्म कर दिया है। कांग्रेस ने इस गिरफ्तारी को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताकर योगी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने इसे अन्याय का प्रतीक बताया, वहीं यूपी कांग्रेस के अनिल यादव ने सरकार पर मुस्लिमों और कमजोर वर्गों को निशाना बनाने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी इस मुद्दे को हर मंच पर उठाएगी।
सपा भी मैदान में, भाजपा ने दिया जवाब
इंडिया गठबंधन की दूसरी बड़ी पार्टी सपा भी इस मुद्दे पर मुखर है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर बेरोजगारी और महंगाई जैसे असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि झूठे मुकदमों के जरिए विपक्ष को दबाने की कोशिश हो रही है। दूसरी ओर, भाजपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे वोटबैंक की राजनीति बताया। भाजपा प्रवक्ता हीरो बाजपेयी ने कहा कि जनता अपराधियों के पक्ष में खड़े होने वालों को पहचान चुकी है। उन्होंने विश्वास जताया कि 2027 में भी योगी सरकार को जनता का समर्थन मिलेगा।
क्या होगा यूपी का सियासी भविष्य?
उत्तर प्रदेश में 2027 का चुनाव नजदीक आते ही सियासी दलों की रणनीतियां और तेज होंगी। विपक्ष जहां जातीय और सामाजिक समीकरणों को साधने में जुटा है, वहीं सत्ताधारी भाजपा अपने विकास और कानून-व्यवस्था के दावों को जनता के बीच ले जा रही है। यह सियासी जंग आने वाले दिनों में और दिलचस्प होने वाली है।
Read Also: बिहार चुनाव 2025: बिहार में फिर तेजस्वी का पॉलिटिकल पंच! चाचा नीतीश को टक्कर देने आई नई योजना