बिहार चुनाव 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले आए एक ताज़ा सर्वे ने सियासी हलचल तेज कर दी है। वोट वाइब एजेंसी के इस सर्वे के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली NDA सरकार के खिलाफ मजबूत सत्ता-विरोधी लहर (एंटी-इनकंबेंसी) बनती दिख रही है। रिपोर्ट कहती है कि करीब 48% लोग सरकार के कामकाज से नाखुश हैं। खास बात ये है कि युवाओं और ग्रामीण इलाकों के मतदाताओं में यह नाराजगी सबसे ज्यादा है।
48% नाखुश, युवाओं में असंतोष और ज्यादा
सर्वे में 52% पुरुष और 48% महिला मतदाताओं से बातचीत की गई। इनमें से 70% ग्रामीण और 30% शहरी शामिल थे। सवाल था – “क्या आप नीतीश सरकार के काम से संतुष्ट हैं?” जवाब में:
- 48% ने नाराजगी जताई
- 27% ने समर्थन किया
- 20% न्यूट्रल रहे
- 4% ने ‘पता नहीं’ कहा
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि 18 से 34 साल के 55% युवाओं ने असंतोष जताया। गांवों में बिजली, पानी, सड़क और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी बड़ी वजह बनी है। वहीं शहरों में रोजगार और महंगाई ने मतदाताओं की परेशानी बढ़ाई है।
युवाओं और ग्रामीणों की नाराजगी के कारण
सर्वे यह बताता है कि युवाओं की सबसे बड़ी चिंता रोजगार और शिक्षा को लेकर है। बिहार में बेरोजगारी दर लगातार विपक्ष के लिए हथियार बनी हुई है। ग्रामीण इलाकों के 48% लोगों ने सरकार से नाराजगी जाहिर की, जिससे साफ है कि ‘सुशासन’ का दावा कमजोर होता दिख रहा है। गांवों में भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था और विकास की धीमी रफ्तार लोगों की शिकायत का कारण है। शहरी मतदाता भी महंगाई और अपराध को लेकर सरकार से खुश नहीं हैं।
NDA के लिए खतरे की घंटी, विपक्ष के लिए मौका
नीतीश कुमार की राजनीति का सबसे बड़ा आधार “सुशासन” रहा है, लेकिन यह सर्वे दिखाता है कि जनता का भरोसा डगमगाता दिख रहा है। 48% असंतोष विपक्षी दलों के लिए बड़ा मौका है। खासकर तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी RJD बेरोजगारी और महंगाई को बड़ा चुनावी मुद्दा बना रहे हैं। अगर नाराज वोटर विपक्ष के पक्ष में एकजुट हुए, तो NDA के लिए सत्ता में वापसी बेहद मुश्किल हो सकती है। हालांकि, अगर वोट बंटे तो NDA को राहत मिल सकती है।
चुनावी समीकरण पर असर
यह सर्वे साफ संकेत देता है कि बिहार चुनाव 2025 में मुकाबला बेहद रोचक होने वाला है। 27% समर्थन के बावजूद, 48% नाखुशी सरकार के लिए अलार्म बेल है। आने वाले दिनों में NDA को युवाओं और ग्रामीण मतदाताओं को साधने के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी। वरना इस बार का चुनावी नतीजा सत्ता समीकरण पूरी तरह पलट सकता है।