नई दिल्ली, राष्ट्रबाण। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को बजट पेश करने से एक दिन पहले 22 जुलाई सोमवार को लोकसभा में प्री-बजट डॉक्यूमेंट यानि आर्थिक सर्वे 2023-24 पेश कर दिया है। इससे पहले संसद में पहुंच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कल हम जो बजट पेश करेंगे, वो अगले पांच सालों के लिए दिशा और दिशा तय करेगा। ये बजट हमारी अमृतकाल की यात्रा में एक अहम मील का पत्थर है। हमें 2047 तक विकसित भारत के हमारे दृष्टिकोण को हासिल करने की दिशा में प्रेरित करेगा।
11 कदमों का उल्लेख
वित्त मंत्री ने कहा, ‘कारोबार में सुगमता लाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। जवाब में करीब 11 कदमों का उल्लेख किया गया है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है 63 अपराधों को गैर-अपराधीकरण करना, जिसके परिणामस्वरूप आज कंपनियां अनुपालन की चिंता किए बिना अपना काम कर पा रही हैं। एक केंद्रीय प्रसंस्करण प्रणाली भी स्थापित की गई है।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर कई कदम उठाए गए हैं।
- भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी के बाद व्यवस्थित तरीके से पटरी पर आई है।
- यह सुनिश्चित हुआ कि बाहरी चुनौतियों का भारत की अर्थव्यवस्था पर न्यूनतम प्रभाव पड़े।
- नीतिगत हस्तक्षेप से सकारात्मक परिणाम मिले। आरबीआई के मूल्य स्थिरता उपाय काम आए।
- मुख्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति भी घटकर चार साल के निचले स्तर पर आ गई।
- प्रमुख इनपुट सामग्रियों की बेहतर आपूर्ति के कारण मुख्य उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं की मुद्रास्फीति में गिरावट आई।
- प्रतिकूल मौसम की वजह से भोजन की कीमतों पर दबाव है। खाद्य मुद्रास्फीति पिछले दो वर्षों से वैश्विक चिंता का विषय रही है।
जानें…क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे
आर्थिक सर्वे में देश की इकोनॉमी की पूरी तस्वीर पेश की जाती है। इसमें अर्थव्यवस्था की स्थिति, संभावनाओं और नीतिगत चुनौतियों का विस्तार से ब्यौरा दिया जाता है। इकोनॉमिक सर्वे में बीते वित्त वर्ष के रोजगार, जीडीपी, मुद्रास्फीति और बजट घाटे की जानकारी देने वाले काफी महत्वपूर्ण आंकड़े होते हैं। इस बार का इकोनॉमिक सर्वे मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन की अगुआई वाली टीम ने तैयार किया है।
हर साल 78.5 लाख नौकरियों की जरुरत
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में इकोनॉमिक सर्वे पेश कर दिया है। आर्थकि सर्वे 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ते वर्क फोर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है।
जीडीपी ग्रोथ की यह है जानकारी
वित्त वर्ष 2023-24 के इकोनॉमिक सर्वे में इकोनॉमी से जुड़ी कई अहम बातें बताई गई हैं। इनमें जीडीपी ग्रोथ, इनफ्लेशन, इंप्लॉयमेंट रेट, फिस्कल डेफिसिट समेत कई डेटा शामिल हैं। फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में ग्रोथ 6.5 से 7 फीसदी रहने के आसार हैं। आर्थिक सर्व में सबसे ज्यादा इंतजार चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ के पूर्वानुमान है। बता दें कि 31 जनवरी, 2023 को पेश फुल सर्वे में, आर्थिक वर्ष 24 के लिए जीडीपी की ग्रोथ 6-6.8 प्रतिशत के बीच देखी गई थी।
कृषि पर फोकस बढ़ाने पर जोर
इकोनॉमिक सर्वे में कृषि पर फोकस बढ़ाने की जरूरत बताई गई है। इसमें मेंटल हेल्थ पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। सरकार का जोर पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप पर बढ़ेगा। इस साल एनएचएआई के लिए 33 एसेट्स की बिक्री के लिए पहचान की गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि प्राइवेट सेक्टर का प्रॉफिट बढ़ा है, लेकिन इसके मुताबिक रोजगार के मौके नहीं बढ़े हैं।
कमर्शियल बैंकों और बीमा कंपनियों को दी ये सलाह
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि कमर्शियल बैंकों और बीमा कंपनियों को बाजार में ज्यादा से ज्यादा पहुंच बनाने के अपने मकसद के साथ ही देश में वित्तीय सोच समझ के मानसिक स्तर को ध्यान में रखना होगा। भारत का वित्तीय क्षेत्र महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, इसलिए इसे वैश्विक और स्थानीय रूप से होने वाले संभावित जोखिमों के लिए तैयार रहना होगा।