टनल में फंसे मजदूरों ने बाहार आकर बताया कैसे कटे 17 दिन, फोन पर लूडो, और मुरमुरे खाकर मिटाई भूख

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नई दिल्ली, राष्ट्रबाण। उत्तरकाशी में पिछले 17 दिनों से एक सुरंग में फंसे मजदूरों को आखिरकार बाहर निकाल लिया गया है। मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए टीम द्वारा काफी कठिन रेस्क्यू किया गया। ऑपरेशन काफी चुनौतीपूर्ण रहा। कई असलफताओं के बाद आखिरकार टीम को सफलता मिली और सभी श्रमिकों की जान बची। टनल में फंसे एक श्रमिक ने पूरी घटना के बारे में बताया है। इन 17 दिनों में उन्होंने फोन पर लूडो खेलकर समय बिताया। टनल में आने वाले पानी से स्नान किया। मुरमुरे और इलायची से अपनी भूख को मिटाया। मजदूर ओरांव ने कहा कि ताजी हवा की गंध एक नए जीवन की तरह महसूस हुई। उन्होंने 41 मजदूरों को बचाने का श्रेय 17 दिनों तक अथक प्रयास करने वाले बचावकर्मियों और ईश्वर को दिया है। ओरांव ने कहा, “जोहार! हम अच्छे हैं। हम भगवान में विश्वास करते थे और इससे हमें ताकत मिली। हमें भी विश्वास था कि 41 लोग फंसे हैं तो कोई न कोई हमें बचा लेगा। मैं अपनी पत्नी से बात करने के लिए इंतजार नहीं कर सकता। तीन बच्चे खूंटी में मेरा इंतजार कर रहे हैं।”ओरांव ने कहा कि वह प्रति माह 18,000 रुपये कमाता है। ओरांव ने उस दिन की घटना को याद करते हुए कहा कि वह 12 नवंबर की सुबह काम कर रहे थे। तभी उन्होंने जोरदार आवाज सुनी और मलबा गिरते देखा। ओरांव ने कहा, “मैं अपनी जान बचाने के लिए भागा लेकिन गलत दिशा में फंस गया। जैसे ही यह पता चल गया कि हम लंबे समय के लिए फंस गए हैं तो हम बेचैन हो गए। लेकिन हमने मदद के लिए चुपचाप प्रार्थना की। मैंने कभी उम्मीद नहीं खोई।” करीब 24 घंटे बाद अधिकारियों ने मुरमुरे और इलायची के बीज भेजे। ओरांव ने कहा, “जब हमने पहला निवाला खाया, तो हमें लगा कि कोई ऊपर वाला हमारे पास आया है। हम बहुत खुश थे। हमें आश्वासन दिया गया था कि हमें बचा लिया जाएगा, लेकिन समय गुजारने की जरूरत थी। इसलिए हमने खुद को फोन पर लूडो में डुबो दिया। फोन चार्ज करने के लिए बिजली की सुविधा थी। नेटवर्क नहीं होने के कारण हम किसी को कॉल नहीं कर सकते थे। हमने आपस में बात की और एक-दूसरे को जाना।

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