मथुरा-वृंदावन में यमुना का कहर, हाई अलर्ट, 13 गांव टापू बने, NDRF तैनात

Rahul Maurya

    मथुरा, राष्ट्रबाण: उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृंदावन में यमुना नदी के उफान ने तबाही मचा दी है। बीते 24 घंटों में यमुना का जलस्तर 166.56 मीटर तक पहुँच गया, जो खतरे के निशान (166 मीटर) से 56 सेंटीमीटर ऊपर है। हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से 3.29 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने और पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण स्थिति बेकाबू हो रही है। 13 गाँव पूरी तरह टापू बन गए हैं, और दर्जनों कॉलोनियों में 4-5 फीट तक पानी भर गया है। प्रशासन ने शुक्रवार और शनिवार के लिए हाई अलर्ट जारी किया है, और 1,500 से ज्यादा लोगों को राहत शिविरों में पहुँचाया गया है।

    यमुना का रौद्र रूप

    पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार बारिश ने यमुना को उफान पर ला दिया है। मथुरा के नौहझील, मांट, और छाता जैसे क्षेत्रों में 23 गाँव प्रभावित हैं, जिनमें से 13 गाँव पानी से पूरी तरह घिर गए हैं। नौहझील के नौ गाँवों में स्थिति सबसे गंभीर है। कुछ गाँवों में पानी घरों की देहरी तक पहुँच गया है। वृंदावन में यमुना के पानी ने परिक्रमा मार्ग, केशी घाट, और कालिदह मार्ग को जलमग्न कर दिया। सड़कें और गलियाँ पानी से लबालब हैं। स्थानीय निवासी रमेश चतुर्वेदी ने बताया, “पानी हमारे घर के बाहर तक आ गया है। रात को नींद नहीं आ रही, डर है कि कब सब कुछ डूब जाए।”

    प्रशासन का हाई अलर्ट

    जिला प्रशासन ने बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए युद्धस्तर पर काम शुरू किया है। डीएम चंद्र प्रकाश सिंह और एसएसपी श्लोक कुमार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। 39 बाढ़ चौकियाँ स्थापित की गई हैं, जहाँ भोजन, पानी, और चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध हैं। पीएसी और एनडीआरएफ की टीमें नावों और स्टीमरों के जरिए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचा रही हैं। अब तक 1,500 से ज्यादा लोग राहत शिविरों में हैं। कई घाटों, जैसे केशी घाट और देवराह बाबा घाट, को बंद कर बैरिकेडिंग की गई है। पुलिस ने नदी किनारे जाने से मना किया है, लेकिन कुछ लोग अभी भी खतरे को नजरअंदाज कर रहे हैं।

    कॉलोनियाँ और घाट जलमग्न

    वृंदावन की दर्जनों कॉलोनियाँ पानी में डूब गई हैं। परिक्रमा मार्ग पर घुटनों तक पानी है, जिससे तीर्थयात्रियों को भारी परेशानी हो रही है। मथुरा का विश्राम घाट और जगन्नाथ घाट भी पानी में डूबे हैं। हथिनीकुंड से छोड़ा गया पानी और भारी बारिश स्थिति को और गंभीर कर रहे हैं। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि जलस्तर में और वृद्धि हो सकती है। एक स्थानीय व्यापारी, गोपाल शर्मा ने कहा, “हमारी दुकानें बंद हैं, और सामान पानी में बह गया। सरकार को जल्द मदद करनी चाहिए।”

    राहत और बचाव के प्रयास

    प्रशासन ने लोगों से नदी किनारे न जाने की अपील की है। पशुओं को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है। डीएम ने कहा, “स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन हम कोई जोखिम नहीं ले रहे। राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं।” मथुरा में बाढ़ ने खेतों और फसलों को भी भारी नुकसान पहुँचाया है, जिसका आकलन शुरू हो गया है।

    जलवायु परिवर्तन का असर?

    विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियोजित विकास ने बाढ़ की स्थिति को और गंभीर किया है। यमुना के किनारे अतिक्रमण और अपर्याप्त जल निकासी व्यवस्था ने पानी को कॉलोनियों में घुसने दिया। क्या प्रशासन भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए तैयार होगा? यह समय बताएगा।

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