योगी सरकार का भ्रष्टाचार पर प्रहार, मुजफ्फरनगर के SDM जयेंद्र सिंह सस्पेंड, 750 बीघा जमीन घोटाले में फंसे

Rahul Maurya

    मुजफ्फरनगर, राष्ट्रबान: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने एक बार फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती दिखाई है। मुजफ्फरनगर के जानसठ तहसील के उपजिलाधिकारी (SDM) जयेंद्र सिंह को भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में निलंबित कर दिया गया है। उन पर करीब 750 बीघा सरकारी और सहकारी जमीन को गलत तरीके से निजी व्यक्ति के नाम करने का आरोप है। ये कार्रवाई योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा है, जिसने भ्रष्ट अधिकारियों पर नकेल कसने का सिलसिला तेज कर दिया है।

    जमीन घोटाले का खुलासा, नियमों की उड़ी धज्जियां

    मुजफ्फरनगर के इसहाकवाला गांव में डेरावाल कोऑपरेटिव फार्मिंग सोसाइटी की 473 बीघा जमीन समेत कुल 743 बीघा जमीन को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। ये मामला जानसठ तहसील में SDM जयेंद्र सिंह के कोर्ट में था। आरोप है कि जयेंद्र सिंह ने नियमों को ताक पर रखकर इस जमीन को अमृतपाल सिंह नाम के व्यक्ति के पक्ष में निजी स्वामित्व में बदल दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये जमीन हाईवे के पास है, जिसकी कीमत करोड़ों में है। इस फैसले से एक पक्ष को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने का दावा किया गया।

    जब इसकी शिकायत जिला प्रशासन तक पहुंची, तो मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने तुरंत जांच शुरू कराई। जांच में जयेंद्र सिंह प्रथमदृष्टया दोषी पाए गए। इसके बाद सहारनपुर के मंडलायुक्त ने इसकी पूरी रिपोर्ट सरकार को भेजी, जिसके आधार पर गुरुवार को निलंबन का आदेश जारी हुआ। जयेंद्र सिंह को अब राजस्व परिषद कार्यालय से जोड़ा गया है, और बरेली के मंडलायुक्त को उनके खिलाफ विभागीय जांच सौंपी गई है।

    योगी सरकार की सख्ती, भ्रष्टाचार पर चोट

    योगी आदित्यनाथ की सरकार शुरू से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाती रही है। इस मामले में भी त्वरित कार्रवाई ने साफ कर दिया कि कोई भी अधिकारी नियम तोड़ने की हिम्मत करे, तो उसका बचना मुश्किल है। जानसठ का ये मामला इसलिए भी चर्चा में है, क्योंकि हाईवे के किनारे की ये जमीन भूमाफियाओं की नजर में थी। ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह के घोटाले पहले भी होते रहे हैं, लेकिन योगी सरकार की सख्ती ने अब ऐसे मामलों पर लगाम लगानी शुरू कर दी है।

    और भी अधिकारियों पर गिरी गाज

    जयेंद्र सिंह अकेले नहीं हैं, जिन पर योगी सरकार ने कार्रवाई की। हाल ही में कानपुर के अपर आयुक्त अरुण शंकर राय पर बिल्डरों के वैट निर्धारण में गड़बड़ी का आरोप लगा, जिससे सरकार को 10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। वहीं, रामपुर के सहायक आयुक्त सतीश कुमार को जीएसटी पंजीकरण के लिए 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया। इन कार्रवाइयों से साफ है कि योगी सरकार भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ने के मूड में है।

    जयेंद्र सिंह के निलंबन के बाद अब सबकी नजर बरेली मंडलायुक्त की जांच पर है। अगर जांच में और बड़े खुलासे हुए, तो इस मामले में और सख्त कार्रवाई हो सकती है। साथ ही, योगी सरकार का ये कदम न सिर्फ भ्रष्टाचार पर चोट है, बल्कि जनता में भरोसा जगाने का भी प्रयास है।

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