2,664 कंपनियों पर 2 लाख करोड़ उधार : पैसा पास में है, फिर भी वापस नहीं दे रहे

Rashtrabaan

नई दिल्ली, राष्ट्र्बाण। भारतीय रिजर्व बैंक ने 2,664 कंपनियों को विलफुल डिफ़ॉल्टर्स की कैटेगरी में डाला है। आंकड़े बताते हैं कि इन कंपनियों पर 1,96,441 करोड़ रुपये बैंकों के उधार हैं। इन कंपनियों के ऊपर जो असल कर्ज़ और देनदारी बकाया है, वो इस आंकड़े से कहीं ज़्यादा है।

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आरटीआई में मिली जानकारी

सूचना के तहत मांगी जानकारी में आरबीआई ने 100 विलफुल डिफ़ॉल्टर्स कंपनियों की सूची दी है। इस लिस्ट में गीतांजलि जेम्स सबसे पहले स्थान पर है। जून 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक़ इस कंपनी पर बैंकों का 8,516 करोड़ रुपये का क़र्ज़ बकाया है। इस लिस्ट में किसी व्यक्ति या विदेशी कर्ज़दारों को शामिल नहीं किया गया है।

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अन्य बड़ी कंपनियां ये हैं

मेहुल चौकसी के गीतांजलि जेम्स के बाद इन विलफुल डिफ़ॉल्टर्स कंपनियों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर है ऋषि अग्रवाल की एबीजी शिपयार्ड्स। इस पर 4,684 करोड़ रुपये का क़र्ज़ बकाया है। तीसरे नंबर पर है कॉनकास्ट स्टील एंड पॉवर, इस पर 4,305 करोड़ रुपये का क़र्ज़ है। इसके अलावा जतिन मेहता की विनसम डायमंड्स पर 2,927 करोड़ का विलफुल डिफ़ॉल्ट क़र्ज़ बकाया है।

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ऐसी कंपनियों की संख्या में इज़ाफ़ा

एक रिपोर्ट के मुताबिक़ बीते चार सालों में विलफुल डिफ़ॉल्टर्स कंपनियों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है। मार्च 2020 तक इस लिस्ट में 2,154 कंपनियों के नाम थे। मार्च 2024 में ये संख्या बढ़कर 2,664 हो गई है। बीते 4 सालों में इन विलफुल डिफ़ॉल्टर्स के द्वारा लिए गए कर्ज़ में भी बढ़ोतरी हुई है। मार्च 2020 तक इन पर 1,52,860 करोड़ रुपये बकाया था जो कि मार्च 2024 में बढ़कर 1,96,441 करोड़ रुपये हो गया।

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आंकड़े कहीं और भी ज्यादा

हालांकि, इन कंपनियों के ऊपर जो असल क़र्ज़ और देनदारी बकाया है, वो इस आंकड़े से कहीं ज़्यादा है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के सामने जो क़र्ज़ इन कंपनियों से मांगा गया है, वो कई हज़ार करोड़ में है। आरबीआई ने जिस क़र्ज़ बकाये के बारे में बताया है, वो क़र्ज़ का केवल उतना हिस्सा है जो विलफुल डिफ़ॉल्ट की कैटेगरी में आता है।

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‘विलफुल डिफ़ॉल्टर्स’ किसे कहते हैं

बैंकिंग के क्षेत्र में यह शब्द उन व्यक्तियों या संस्थानों के लिए इस्तेमाल होता है, जिनके पास क़र्ज़ चुकाने के लिए संसाधन होते हैं। लेकिन, फिर भी वो अपना क़र्ज़ नहीं चुकाते हैं। उदाहरण के लिए विजय माल्या को ही ले लीजिए। एक तरफ उनका कहना था कि वो बैंकों का कर्ज़ चुकाने में सक्षम नहीं हैं। और दूसरी तरफ वो अपने निजी जीवन में खूब पैसे खर्च कर रहे थे।

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