Survey: ग्रामीण भारत में महिलाओं का दबदबा, 77% महिलाएं संभाल रही हैं खेती का जिम्मा, पुरुषों की हिस्सेदारी 50% से नीचे

Rahul Maurya

    Survey: भारतीय कृषि में महिलाओं का रोल दिन-ब-दिन मजबूत होता जा रहा है। ताजा सरकारी सर्वेक्षण के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में अब 77 फीसदी से ज्यादा महिलाएं खेती-किसानी के मोर्चे पर तैनात हैं। वहीं, पुरुषों की भागीदारी 50 फीसदी से भी कम रह गई है। यह बदलाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नई तस्वीर पेश करता है।

    ग्रामीण महिलाओं का बढ़ता कद

    आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) 2024 के आंकड़ों से साफ झलकता है कि ग्रामीण महिलाओं का कृषि में योगदान लगातार बढ़ रहा है। 2024 में यह आंकड़ा 76.9 फीसदी रहा, जो 2023 के 76.2 फीसदी और 2022 के 75.9 फीसदी से ऊपर है। विशेषज्ञों का मानना है कि सीमित रोजगार के मौके और पारंपरिक खेती पर निर्भरता के कारण महिलाएं इस क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय हो रही हैं।

    पुरुषों का रुझान बदल रहा

    दूसरी तरफ, ग्रामीण पुरुषों की कृषि में हिस्सेदारी घट रही है। 2022 में जहां यह 51 फीसदी थी, वहीं 2024 में यह 49.4 फीसदी पर सिमट गई। ऐसा लगता है कि पुरुष अन्य क्षेत्रों जैसे निर्माण या सेवा क्षेत्र की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे खेतों का बोझ महिलाओं पर आ रहा है।

    शहरों में भी महिलाओं का प्रभाव

    यह ट्रेंड ग्रामीण इलाकों तक सीमित नहीं। शहरी महिलाओं की कृषि गतिविधियों में भागीदारी भी धीरे-धीरे बढ़ रही है। 2022 के 11.1 फीसदी से बढ़कर 2024 में यह 12.3 फीसदी हो गई। जबकि शहरी पुरुषों का आंकड़ा स्थिर है और 4.8 फीसदी पर अटका हुआ है। नतीजा? शहरी कृषि कार्यबल में भी महिलाएं पुरुषों से दोगुना आगे हैं।

    प्रगति या मजबूरी?

    किसान मुद्दों पर काम करने वाले संतोष नैतम जैसे विशेषज्ञ कहते हैं कि यह पूरी तरह सकारात्मक नहीं। “कई पुरुष शहरों में नौकरी तलाशने चले जाते हैं, तो खेती का सारा काम महिलाओं पर आ जाता है। खासकर छोटे किसान परिवारों में, जहां जमीन ही एकमात्र स्रोत है, महिलाएं मजबूरी में मोर्चा संभालती हैं।” उनका कहना है कि यह बदलाव ग्रामीण महिलाओं की मेहनत को दर्शाता है, लेकिन बेहतर अवसरों की कमी भी उजागर करता है।

    कुल आंकड़े

    ग्रामीण और शहरी आंकड़ों को जोड़ें तो कृषि कार्यबल में महिलाओं की कुल हिस्सेदारी 2022 के 62.9 फीसदी से बढ़कर 2024 में 64.4 फीसदी हो गई। पुरुषों की हिस्सेदारी 38.1 से घटकर 36.3 फीसदी रह गई। इससे कुल कृषि श्रमिकों का प्रतिशत 45.5 से 46.1 फीसदी तक पहुंचा।

    यह सर्वे ग्रामीण भारत की महिलाओं की ताकत को रेखांकित करता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार इनकी मेहनत को सही दिशा दे पाएगी? आने वाले दिनों में इस पर नजर रहेगी।

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