नई दिल्ली (New Delhi), राष्ट्रबाण। भारत (India) में अधिकांश ब्लू-कॉलर यानी शारीरिक श्रम (Blue-collar, physical labor) वाली नौकरियों में प्रति माह 20,000 रुपये या उससे कम वेतन का भुगतान किया जाता है, जिसके चलते कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा वित्तीय तनाव से जूझ रहा है और आवास, स्वास्थ्य (housing, health) देखभाल तथा शिक्षा (Education) जैसी आवश्यक जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में सामने आई है, जो इस तरह की नौकरियां मुहैया कराने वाला है।
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29.34 प्रतिशत ब्लू-कॉलर नौकरियां मध्यम आय वर्ग में
रिपोर्ट में कहा गया है कि 57.63 प्रतिशत से अधिक ब्लू-कॉलर नौकरियां 20,000 रुपये या उससे कम वेतन सीमा के भीतर आती हैं, जो दर्शाता है कि कई कर्मचारी न्यूनतम वेतन सीमा के करीब कमाते हैं। ब्लू कॉलर नौकरियों में शारीरिक श्रम या कौशल वाले रोजगार शुमार होते हैं- जैसे कि कंडक्टर, मैकेनिक, इलेक्ट्रीशियन, पुलिसकर्मी, प्लंबर, मजदूर आदि। इस रिपोर्ट से पता चला है कि लगभग 29.34 प्रतिशत ब्लू-कॉलर नौकरियां मध्यम आय वर्ग में हैं, जिनका वेतन 20,000-40,000 रुपये प्रति माह है।
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दयनीय आर्थिक स्थिति का सामना
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले कर्मी वित्तीय सुरक्षा के स्तर पर खुद को ठीक-ठाक तो पाते हैं, लेकिन वे अभी भी एक आरामदायक जीवन स्तर हासिल करने से बहुत दूर हैं। इस आय में लोग अपनी आवश्यकताओं को तो पूरा कर सकते हैं, लेकिन उनके लिए बचत या निवेश की गुंजाइश बहुत कम होती है। जो ब्लू-कॉलर कार्यबल के एक बड़े हिस्से की दयनीय आर्थिक स्थिति को उजागर करता है।
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गतिशीलता चुनौतीपूर्ण बनी हुई है
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि इस कार्यबल का एक बहुत छोटा हिस्सा, जो केवल 10.71 प्रतिशत है, 40000-60000 रुपये प्रति माह से अधिक वेतन पाता है। इसमें कहा गया है कि ब्लू कॉलर नौकरियों का यह उच्च आय वर्ग इन श्रमिकों के बीच विशेष कौशल या अनुभव की उपस्थिति को दर्शाता है, फिर भी ऐसे पदों की सीमित उपलब्धता से पता चलता है कि रोजगार के इस क्षेत्र में ऊपर जाने की ओर गतिशीलता चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। केवल 2.31 प्रतिशत ब्लू-कॉलर नौकरियां 60,000 रुपये से अधिक वेतन प्रदान करती हैं, जो कि एक बहुत ही छोटा प्रतिशत है जो इस क्षेत्र में अच्छे भुगतान वाले अवसरों की कमी को दर्शाता है।
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फ़ील्ड सेल्स पद सबसे ऊपर
रिपोर्ट के अनुसार, इस शीर्ष ब्रैकेट में पद आम तौर पर अत्यधिक विशिष्ट होते हैं या इसमें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी शामिल होती है, जिससे वे केवल कुछ चुनिंदा लोगों के लिए ही पहुंच योग्य होते हैं। यह रिपोर्ट पिछले दो वर्षों में एकत्र किए गए नौकरियों के डेटा के विश्लेषण पर आधारित है, जिसमें विभिन्न उद्योगों में 24 लाख से अधिक नौकरियां शामिल हैं। सबसे ज़्यादा वेतन पाने वाले ब्लू-कॉलर पदों की सूची में फ़ील्ड सेल्स पद सबसे ऊपर हैं, जहां 33.84 प्रतिशत पदों पर 40,000 रुपये प्रति माह से ज़्यादा वेतन मिलता है। इसके बाद बैक ऑफिस पदों पर 33.10 प्रतिशत लोगों को 40,000 रुपये से अधिक वेतन मिलता है और टेली-कॉलिंग पदों पर 26.57 प्रतिशत को 40,000 रुपये से ज़्यादा वेतन मिलता है। इस बीच, लेखांकन के क्षेत्र में सटीक वित्तीय प्रबंधन की आवश्यकता के चलते 24.71 प्रतिशत नौकरियां प्रति माह 40,000 रुपये से अधिक वेतन प्रदान करती हैं।
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16.23 प्रतिशत नौकरियों में ही उच्च वेतन
रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यवसाय विकास की भूमिकाएं, जो कंपनी के परिचालन के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण हैं, प्रतिस्पर्धी वेतन प्रदान करती हैं, तथा 21.73 प्रतिशत पदों पर वेतन 40,000 रुपये प्रति माह से अधिक है। रिपोर्ट में पाया गया कि कुशल रसोइये और रिसेप्शनिस्ट भी उच्च वेतन वर्ग में आते हैं, जिनमें क्रमशः 21.22 प्रतिशत और 17.60 प्रतिशत लोग प्रति माह 40,000 रुपये से अधिक कमाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि महत्वपूर्ण होते हुए भी डिलिवरी संबंधी नौकरियों का प्रतिशत इस श्रेणी में सबसे कम है, केवल 16.23 प्रतिशत नौकरियां उच्च वेतन की पेशकश करती हैं।